खबर लहरिया सबकी बातें क्रूर कानून के खिलाफ सबसे लंबी भूख हड़ताल

क्रूर कानून के खिलाफ सबसे लंबी भूख हड़ताल

afspa protestमणिपुर राज्य की इरोम शर्मिला 22 अगस्त को फिर गिरफ्तार हो गईं। हर बार की तरह इस बार भी उन पर आत्महत्या की कोशिश का आरोप है। इरोम के समर्थकों को ज़रूर धक्का लगा होगा।
20 अगस्त को मणिपुर की अदालत ने ठोस तर्क देते हुए उन्हें रिहा किया था, अदालत ने कहा – देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने भी भूख हड़ताल की थी, तो क्या वह अपराध था? इससे लगा था कि अब इरोम दिल्ली के अस्पताल के एक छोटे से कमरे से निकलकर अपने राज्य, अपने गांव की खुली हवा में सांस ले पाएंगी।
इरोम अपने राज्य में शांति बनाए रखने की लड़ाई लड़ रही हैं। उनका तरीका बेहद शांतिपूर्ण है। लेकिन इन तर्कों को अनदेखा कर उन्हें सोते वक्त उनके घर में घुसकर गिरफ्तार कर लिया गया। दरअसल इरोम ने 4 नवंबर 2000 को अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। यह विरोध 2 नवंबर 2000 में वहां पर तैनात सेना की गोलीबारी में दस बेगुनाहों के मारे जाने का था। तब से इरोम इस सशस्त्र बल विशेषाधिकार (जो 1958 से लागू है) जैसे क्रूर कानून को वहां से हटाए जाने की मांग कर रही हैं।
अशांत इलाके जहां शांति भंग होने, दंगे होने का डर बना रहता है, वहां पर इस कानून के तहत तैनात सेना को विशेष अधिकार दिए जाते हैं। सेना किसी को भी बिना कारण बताए गिरफ्तार कर सकती है या गोली चला सकती है। लेकिन मणिपुर में लगातार सेना द्वारा अपने विशेषाधिकार के गलत ढंग से उपयोग करने के मामले सामने आ रहे हैं। पर इरोम की आवाज़ कोई नहीं सुनता। इरोम अडिग हैं कि वह न्याय मिलने तक भूख हड़ताल जारी रखेंगी।