खबर लहरिया औरतें काम पर सोलह साल हैं बेमिसाल!

सोलह साल हैं बेमिसाल!

2002 में गैर सरकारी संस्था निरंतर के सहयोग से मेरी (खबर लहरिया की) शुरुआत हुई। आठ पेज का मैं साप्ताहिक अखबार चित्रकूट के कर्वी शहर से प्रकाशित हुआ। मैं बुंदेली भाषा का पहला अखबार, बुंदेलखंड की महिलाओं की सशक्तीकरण का साधन बना क्योंकि मैं महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाला अखबार होने के साथ पुरुष सत्ता वाले क्षेत्रों में महिलाओं की आवाज था और हूं। साथ ही सदियों से विकास से वंचित दलित, अल्पसंख्यक महिलाओं को आगे बढ़ाने का मंच भी हूं। ग्रामीण पत्रकारिता के मिशन को आगे बढ़ाते हुए मैं अपने गांवों की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का काम कर रहा हूं, जो खबरें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया की चर्चा से दूर हैं। ग्रामीण सरोकारों के साथ मैं (खबर लहरिया) परिवार के दायरे से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र में सत्ता और गैर बराबरी पर अपने सवाल उठाता रहा हूं। आज मेरी खबरों से ग्रामीण क्षेत्र के गांव, कस्बों में बदलाव आ रहा है। ‘हमारी खबर, हमारी भाषा’ मेरी (खबर लहरिया) ये खासियत है।

2002 में साप्ताहिक अखबार के रुप में काम करते हुए संचार की क्रांति की ताकत को समझते हुए मैं (खबर लहरिया) 2015 में डिजिटल की दुनिया में आ गया। मेरी खबरें लिखित होने के साथ वीडियो के रुप में आने लगी। जो ग्रामीण पत्रकारिता के जरुरी भी हैं, क्योंकि साक्षरता की कमी अब मुझे अपनी बात कहने से रोक नहीं सकती है। आज पढ़े-लिखे लोगों के साथ मेरी खबरें अनपढ़ लोगों तक भी पहुंच रही हैं। जिसका सबूत है मेरा यूटूब चैनल जिसमें अभी 106,929 सब्सक्राइर हैं और वीडियो की अधिकतम देखने वालों की संख्या 7 मिलियन तक है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करते हुए मैं, व्हट्स ऐप में कई ग्रुपों में अपनी जमीनी खबरों का प्रसार कर रहा हूं।  

मेरी खबरें जमीनी होने के साथ उस जमीन की अच्छी समझ रखने वाली स्थानीय महिला पत्रकारों के द्वारा आई जा रही है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड भाग के चित्रकूट, महोबा, ललितपुर, वाराणसी, बांदा, झांसी जैसे जिलों में काम करके अब मध्यप्रदेश का भाग सतना, पन्ना, छतरपुर और रीवा जैसे क्षेत्र में भी मेरा विस्तार हो रहा है। खबर लहरिया के रुप में मैं 40 अलग-अलग आयुवर्ग की महिलाएं द्वारा चला जा रहा बेमिसाल मिशन हूँ। आखिर में गीतकार मजरुह सुलतानपुरी के साथ ‘हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।’

मेरा कारवां आगे और बढ़ेगा इस जिद्द के साथ अगले नये आयामों पर काम करता हुआ मैं खबर लहरिया!

– अल्का मनराल