खबर लहरिया राजनीति सीरिया में जनता और सरकार के बीच युद्ध

सीरिया में जनता और सरकार के बीच युद्ध

सीरिया में अशांति

सीरिया में अशांति

दमिश्क। सीरिया में लोकतंत्र की मांग को लेकर सेना और वहां की जनता के बीच चल रहे युद्ध में 21 अगस्त को 1400 लोग मारे गए। सीरिया की सरकार पर वहां की जनता पर रासायनिक हथियारों से हमला करवाने का आरोप है। हालांकि वहां की सरकार का कहना है कि सेना ने ऐसा कोई हमला नहीं किया है। दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ ने मामले की जांच के लिए 25 अगस्त को एक टीम भेजी है।

पूरी दुनिया को क्यों हुई चिंता

सीरिया एक मुस्लिम देश है। यहां पर रासायनिक हमले को लेकर दुनिया दो हिस्सों में बंट गई है। पूरी दुनिया में इस बात को लेकर चिंता है कि सीरिया के रासायनिक हथियार अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बन सकते हैं। सीरिया कभी भी अपने विरोधियों पर इसका इस्तेमाल कर सकता है। अन्य किन्हीं हथियारों के मुकाबले रासायनिक हथियार बहुत खतरनाक होते हैं। इनसे एक साथ लाखों की संख्या में लोग मारे जा सकतें हैं।

महंगा होगा तेल, डीजल और पेट्रोल

सीरिया में हुए रासायनिक हमले से अमेरिका, ब्रिेटन और फ्रांस नाराज हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट आने के बाद वहां पर तीनों देश हमला कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो कच्चे तेल का निर्यातक होने के कारण इसके दामों में बढ़ोतरी होगी। पहले से ही सीरिया में गृह युद्ध की स्थिति के कारण छह प्रतिशत दामों में बढ़त हो चुकी है। साउदी अरब, ईराक, ईरान, लीबिया के अलावा सीरिया पूरी दुनिया को तेल बेचती हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल, डीजल के भाव में बढ़त होगी।

 क्या है मामला

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के तानाशाह शासन के खिलाफ आम जनता ने 15 मार्च 2011 को विरोध प्रदर्शन शुरू किए थे। वहां की जनता देश में लोकतंत्र लाना चाहती है। सीरिया में 1971 से ही बशर अल असद के परिवार का ही राज रहा है। लेकिन दो साल से सरकार सेना द्वारा विद्रोह को दबा रही है। अब तक इस युद्ध में एक लाख से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं।