खबर लहरिया सीतामढ़ी सरकारी तय बज़ट से महंगा पोषाहार

सरकारी तय बज़ट से महंगा पोषाहार

 

SCF-

 दुनिया में पैदा होने के एक महीने के अंदर मरने वाले बच्चों में से लगभग सत्ताइस प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। दुनिया में प्रसव के दौरान मरने वाली औरतों में लगभग सत्रह प्रतिशत भारत की होती हैं। इस गंभीर स्थिति को काबू में लाने के लिए हर कदम चुस्ती और फुर्ती के साथ उठाया जाना चाहिये।

सीतामढ़ी और शिवहर ज़िला। यहां आंगनवाड़ी केंद्र हर गांव और पंचायत में चलता है। लेकिन यहां काम करने वाली आंगनवाड़ी और सेविकाओं का कहना है कि बाज़ार के दाम और सरकार द्वारा पोषाहार के लिए मिलने वाले दाम में बहुत फर्क है। ऐसे में सरकारी मीनू के हिसाब से कैसे पोषाहार दें?
रीगा प्रखण्ड के पंछोर गांव में आंगनवाड़ी केंद्र संख्या छियासी की सेविका रीता कुमारी, मोतनाजे की सेविका सिन्धु कुमारी, बथनाहा की बवी कुमारी और डुमरा के बबिता कुमारी का कहना है कि हम लोगों के पोषक क्षेत्र में आठ गर्भवती मां, आठ धातृ मां, अट्ठाइस कुपोषित बच्चे, बारह अति कुपोषित बच्चे हैं। इसमें किशोरी को भी पोषाहार देना पड़ता है। लेकिन जो पोषाहार इनके लिए तय है उसकी कीमत ज्यादा है। जबकि बजट कम है। इसके अलावा इस क्षेत्र में लाभ पाने वाले बच्चों और महिलाओं की संख्या सरकारी तय संख्या से बहुत ज़्यादा है। जिस कारण हम लोगों को गांव समाज से बहुत गाली बात सुननी पड़ती है। विभाग से रुपया आता है कम दाम के हिसाब से जबकि पोषाहार बाज़ार से खरीदने जाओ तो ज़्यादा दाम लगते हैं। जिस कारण राशन सबको नहीं मिल पाता है।