खबर लहरिया सबकी बातें शिवसेना के फरमानों पर सरकार क्यों चुप ?

शिवसेना के फरमानों पर सरकार क्यों चुप ?

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साभार- विकीपीडिया

कट्टर हिंदूवादी संगठन शिवसेना इस समय अपने फरमान खुलेआम जारी कर रही है। यह फरमान राजनीति, खेल, फिल्म, कला – हर क्षेत्र से जुड़े हैं। सरकार के लोग इसे गलत बता रहे हैं, मगर दबी आवाज में। यह आवाज इतनी धीमी है कि शिवसेना पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। क्या मान लिया जाए कि सरकार खुद भी शिवसेना के इन कट्टर फरमानों से डरती है या रोकना ही नहीं चाहती?
शिवसेना का नया फरमान है कि अब वह टीवी धारावाहिकों और सिनेमा में पाकिस्तानी कलाकारों का बहिष्कार करेंगे। अगर किसी फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार है तो वह भारत में उसे प्रचार करने की मंजूरी नहीं देंगे। पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कार्यक्रम तो पहले ही शिवसेना के फरमान की भेंट चढ़ चुका है। दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच खेला जा रहा मैच भी शिवसेना की कट्टर सोच के दायरे से बाहर नहीं रह सका। इस क्रिकेट सीरीज में अंपायरिंग कर रहे अलीम दर को हटाने की मांग लिए इस संगठन के लोगों ने इंडियन किक्रेट कंट्रोल बोर्ड में जाकर हंगामा किया। धमकी दी कि अगर अलीम दर बने रहे तो वह मैच नहीं होने देंगे। कमेंट्री कर रहे शोएब अख्तर और इमरान खान ने खुद ही कमेंट्री करने से मना कर दिया।
शिवसेना के लोग खुले आम लोगों के चेहरों पर स्याही पोत रहे हैं। तर्क दे रहे हैं कि यह विरोध का शांतिपूर्ण तरीका है। यह संगठन बेधड़क और बेखौफ है। हौसले बुलंद हैं क्योंकि इन्हें पता है कि सरकार में बैठे लोग भी खुलकर न सही मगर अंदर ही अंदर उनका समर्थन करते हैं। आखिर सरकार के भीतर से ही इस तरह के बयान आए कि हिंदू मान्यताओं को न मानने वाले को पाकिस्तान भेज देना चाहिए।