खबर लहरिया राजनीति वर्ष 2017 में भारत के लिए 5 बड़ी चुनौतियां

वर्ष 2017 में भारत के लिए 5 बड़ी चुनौतियां

वर्ष 2016 की समाप्ति के साथ इंडियास्पेंड ने पांच चुनौतियों का विश्लेषण किया है, जो वर्ष 2017 के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। जिनमें, कृषि के क्षेत्र में धीमी गति से विकास, जलवायु परिवर्तन और सूखे का खतरा, कुपोषण, अशिक्षा और कम वृद्धि एवं व्यापार पुर्वानुमान शामिल हैं।

  1. कृषि क्षेत्र में सुधार, लेकिन नोटबंदी के बाद लाभ अनिश्चित

क्रिसिल एजेंसी के अनुसार, वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान, कृषि में 4 फीसदी की वृद्धि होगी। भारत में 70 करोड़ लोग कृषि पर निर्भर हैं और पिछले दो वर्षों से लगातार पड़ रहे सूखे से कृषि  अभी उबर नहीं पाई है। कई जगहों पर तो लगातार तीन वर्षों से सूखा पड़ रहा है। वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही की तुलना में 2016-17 की इसी अवधि के दौरान कृषि क्षेत्र में 3 फीसदी की वृद्धि हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार वर्ष 2016-17 में 93.8 मिलियन टन चावल और 8.7 मिलियन टन दाल के साथ गर्मियों की फसल का रिकॉर्ड उत्पादन होगा।

  1. अच्छा मानसून और भारत का जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर

सबसे ज्यादा जहरीली हवाओं वाले विश्व के 20 शहरों में से आधे भारत में मानसून आने से ठीक पहले जून में 11 राज्यों (पंजाब, हरियाणा, गुजरात और केरल को छोड़कर ) में गंभीर सूखे के साथ,वर्ष 2016 में भारत में सामान्य बारिश हुई है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सामान्य से 20 फीसदी अधिक बारिश हुई है।

कुल मिलाकर, पिछले दशक में वर्षा का पैटर्न ज्यादा अनियमित हुआ हैं। क्लच ऑफ इंडिया एंड ग्लोबल स्टडीजके मुताबिक मध्य भारत में चरम वर्षा की घटनाएं बढ़ रही हैं और मध्यम वर्षा कम हो रही है।

वर्ष 2016 में, भारत ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसके तहत कई देशों ने 2100 तक पृथ्वी का तापमान  को दो डिग्री सेल्सियस तक कम करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने के लिए सहमती जताई है।

फिर भी, भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से खुद को तैयार रखने के लिए भारत को ज्यादा तैयारी की जरुरत है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से आधे भारत में हैं।

  1. विश्व में सबसे ज्यादा अविकसित बच्चे भारत में, संख्या 4 करोड़ के आस-पास

बच्चों के बीच कुपोषण दर में गिरावट के बाद भी, भारत में अविकसित बच्चों की संख्या 4 करोड़ है। ये आंकड़े विश्व से सबसे ज्यादा हैं। 2016 ग्लोबल न्यूट्रीशन की रिपोर्ट के अनुसार, वेस्टिंग या उम्र की तुलना में कम कद और वजन के बच्चों के संबंध में, 130 देशों में से भारत का स्थान 120वां है।

वर्तमान में भारत में कुपोषण में गिरावट की दर कई गरीब अफ्रीकी देशों से पीछे है। भारत के ग्रामीण इलाकों में अब भी 9.31 करोड़ घर ऐसे हैं, जहां शौचालयों की पहुंच नहीं है।

  1. शिक्षा के बजट में 4.8 फीसदी की वृद्धि, लेकिन लाखों छात्र माध्यमिक विद्यालय से पहले छोड़ देते हैं पढ़ाई

वित्त वर्ष 2016-17 के लिए  केन्द्र सरकार ने स्कूल शिक्षा, , उच्च शिक्षा और वयस्क साक्षरता कार्यक्रम के लिए 72394 करोड़ रुपए का बजट बनाया है। 2015-16 की तुलना में यह आंकड़े 4.8 फीसदी ज्यादा हैं।

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 की बजट राशि 2014-15 के बजट अनुमान की तुलना में 12.5 फीसदी कम है। सरकार ने 2014-15 में 82,771 करोड़ रुपए के बजट के मूल राशि से 16 फीसदी कम खर्च किया है।

  1. विकास की दर में मंदी की संभावना, लेकिन इस पर सब एकमत नहीं

7 दिसंबर 2016 को जारी किए गए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने पांचवें द्विमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा कि, नोटबंदी के कारण वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सकल मूल्य संवर्धित (जीवीए) विकास पहले किए गए 7.6 फीसदी के अनुमान से संशोधित कर 7.1 फीसदी किया गया है। नोटबंदी से नकदी संचालित क्षेत्रों जैसे कि खुदरा और परिवहन प्रभावित होने और प्रतिकूल धन के प्रभाव के कारण मांग में कमी होने की संभावना है।

आरबीआई कहती है कि उपभोक्ता मुद्रास्फीति एकल अंक में रहने की संभावना है (दिसंबर 2016-मार्च 2017 तिमाही में 5 फीसदी), लेकिन वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वित्तीय बाजारों में अशांति में हुई वृद्धि और नोटबंदी के प्रभाव के कारण इसमें जोखिम है, जिसमें आगे वृद्धि हो सकती है।

फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड