खबर लहरिया सबकी बातें रियो ओलिंपिक: जहाँ उच्च आदर्शों को लगा जमीनी असलियत का झटका

रियो ओलिंपिक: जहाँ उच्च आदर्शों को लगा जमीनी असलियत का झटका

edit pic2 wअगस्त 5 को ब्राज़ील में रियो ओलंपिक खेलों का जोर शोर के साथ शुभारम्भ हुआ। अगले दो सप्ताह में यहां दो सौ देशों के खिलाड़ी अपने खेल का प्रदर्शन करेंगे। खिलाड़ियों के साथ-साथ, यह खेल ब्राज़ील देश और अन्तराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के लिए भी खास है।
खेल के समीक्षक और मीडिया ने ब्राज़ील की तैयारी को लेकर काफी चर्चा की है। ओलंपिक को आयोजित करने के लिए ब्राज़ील लगभग दो लाख करोड़ रुपये खर्च चुका है। ब्राज़ील की ज़मीनी असलियत यह है कि वहां जनता को ओलंपिक खेल से ज्यादा बेहतर व्यवस्थाओं की ज़रुरत है, जैसे आवास, साफ़ नाले और सड़क, बेहतर कानून व्यवस्था। दक्षिण अमेरिका के देशों में अभी भी जिका वाइरस का खतरा है, जिसके कारण कई खिलाड़ी इन खेलों में भाग नहीं ले पा रहे हैं। यह कितना अजीब है कि ब्रिटेन की टीम के खिलाड़ी और कोच के साथ प्लम्बर भी आ रहे हैं क्योंकि रियो में व्यवस्थाओं को लेकर दिक्कतें हैं।
क्या ब्राज़ील जैसे गरीब देश को ओलंपिक का आयोजन करने से फायदा हो रहा है? एक रिपोर्ट के अनुसार धनी राष्ट्रों को इन खेलों से सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है। वर्ष 2006 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ब्राज़ील को ओलंपिक खेल आयोजित करने के लिया चुना था। तब के ब्राज़ील में और आज के ब्राज़ील में बहुत अंतर दिखता है। दस साल पहले ब्राज़ील की अर्थव्यवस्था मजबूत थी, जो आज नहीं है। ब्राजील में प्रतिदिन सरकार के विरोध में प्रदर्शन किये जाते हैं।
ब्राज़ील के जैसे ही बुरी हालत अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की भी है। पिछले कुछ सालों से इस समिति पर डोपिंग और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। समिति के रिपोर्ट बताते हैं कि ओलंपिक के आयोजन से सबसे ज्यादा फायदा समिति के अधिकारियों को होगा न कि मेहमान देशों और खिलाड़ियों को।
इन सबके बावजूद ओलंपिक खेल आज भी जूनून और प्रेरणा का प्रतीत माना जाता है। इस साल के ओलंपिक खेलों में ओलंपिक के झंडे को लहराते हुए दुनिया की पहली शरणार्थी टीम भाग ले रही है। सीरिया और दक्षिण सूडान जैसे युद्धग्रस्त देशों से यह साहसी खिलाड़ी, जिनमे महिलाएं भी शामिल हैं, अपने खेल का प्रदर्शन करेंगे। भारत से पहली बार 22 महिला खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जो किसी ऐतिहासिक घटना से कम नहीं है। लेकिन अब सवाल यह है कि हम रियो ओलंपिक को कैसे याद रखेंगे? इसकी दुर्व्यवस्था के लिए या खेल की भावना और जूनून के लिए?