खबर लहरिया खेल रियो ओलंपिक में निराशा के बाद भी बनी कुछ उम्मीद

रियो ओलंपिक में निराशा के बाद भी बनी कुछ उम्मीद

unnamed (1)इस बार रियो ओलंपिक में जब 118 भारतीय खिलाड़ी रवाना हुए थे तो सबकी उम्मीदें आसमान पर थीं। लेकिन बारह दिन झोली पदक से बिल्कुल खाली ही रही। हर दिन उम्मीदें बंधती और टूटती रहीं। ये तो पीवी सिंधू और साक्षी मलिक ने दो पदक जीतकर ने ही भारत का खाता खोला वरना इस बार खाली हाथ ही लौटना पड़ता।

बेशक जिम्नास्टिक में दीपा और तीन हजार मीटर स्टीपलचेज में ललिता बब्बर का फाइनल में पहुंचना बड़ी कामयाबी थी पर न तो निशानेबाजों ने लक्ष्य साधे और न ही टेनिस में कोई खिताब नसीब हुआ। मुक्केबाजों का सफर पदक से पहले रुक गया तो पुरुष पहलवानों की उम्मीदें भी परवान न चढ़ सकीं। लंदन ओलंपिक में छह पदक जीते थे लेकिन रियो में यह संख्या आधी से भी कम रह गई।

ऐसा रहा खिलाड़ियों का रियो में सफर

जीतू राय

दस मीटर एयर पिस्टल में फाइनल में पहुंचे लेकिन आठवाँ स्थान हासिल कर सके। अपनी पसंदीदा 50 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में भी जगह नहीं बना सके।

अभिनव बिंद्रा

रियो में भारत की सबसे बड़ी पदक उम्मीद और बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा दस मीटर एयर राइफल के फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर मामूली अंतर से पदक से चूक गए।

योगेश्वर दत्त

लंदन ओलंपिक का कांस्य पदक विजेता यह दिग्गज पहलवान पहले दौर में ही मंगोलिया के पहलवान ने एकतरफा मुकाबले में 3-0 से हार गया।

साइना नेहवाल

साइना नेहवाल लंदन ओलंपिक में जीते गए कांस्य पदक का रंग नहीं बदल सकीं। उन्हें दूसरे ही मुकाबले में दुनिया की इकसठवें नंबर की खिलाड़ी ने मात दी।

पिछले तीन ओलंपिक में देश को कुल चार पदक दिलाने वाले निशानेबाजों ने रियो में पूरी तरह निराश किया। इस बार इस खेल में एक भी पदक नहीं मिला। बिंद्रा, जीतू राय, गगन नारंग, मेराज, प्रकाश ननजप्पा, हीना सिद्धू में से कोई भी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हो सका। जबकि इस बार निशानेबाजों से लंदन में जीते गए दो पदकों से भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी।

महिलाओं ने रचा इतिहास

पीवी सिंधू

भारतीय बैडमिंटन की नई सनसनी पीवी सिंधू ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। साथ ही वह बैडमिंटन में रजत जीतने वाली भी पहली भारतीय बन गईं।

दीपा कर्माकर

ओलंपिक में क्वालीफाई कर इतिहास रचने वाली भारतीय जिम्नास्ट दीपा कर्माकर भले ही कोई पदक नहीं जीत सकीं, लेकिन वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

साक्षी मलिक

हरियाणा की इस पहलवान ने रियो की पदक तालिका में भारत का खाता खोलकर भारतीय ओलंपिक इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया। साक्षी ने कुश्ती की 58 किग्रा. भारवर्ग में कांस्य पदक जीता।

ललिता बब्बर

रियो में एथलेटिक्स में भी भारत की महिला शक्ति दिखी जब 3000 मीटर स्टीपलचेस में ललिता बब्बर ने दुनिया भर की दिग्गज खिलाड़ियों के बीच फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। पी. टी. उषा के बाद वह फाइनल में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं।

सानिया मिर्जा

रोहन बोपन्ना के साथ मिलकर सानिया मिर्जा ने मिक्स्ड डबल्स के सेमीफाइनल में पहुंचकर ऐसी उपलब्धि हासिल की जो इससे पहले कोई भारतीय जोड़ी नहीं कर पाई थी।