खबर लहरिया चित्रकूट राशन मुद्दे का नहीं हो रहा समाधान, पात्र अभी भी परेशान। देखिए बुंदेलखंड से ये खास रिपोर्ट

राशन मुद्दे का नहीं हो रहा समाधान, पात्र अभी भी परेशान। देखिए बुंदेलखंड से ये खास रिपोर्ट

अप्रैल 2017 शपत ग्रहण के दो हफ्तों बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक बुलवाई, इसमें मुददों की चर्चा में शामिल राशन की उपलब्धि की समस्या समाधान के लिये कई तर्क अपनाये गये। योजनाओं के नाम ‘समाजवाद’ से ‘मुख्यमंत्री’ हुए। अखिलेश यादव के फोटो वाले राशन कार्ड के वितरण पर रोक लगा दी गई। फर्जी राशन कार्ड रदद् करवाने का अभियान चलाया गया। झारखंड की पीडीएस योजना के मांडल पर खोज करने के लिये यूपी से एक टीम भेजी गई।  पूरे सिस्टम को आधार से लिंक करवाकर प्रक्रिया को आनलाइन करने का फैसला लिया गया। फरवरी 2018 तो क्या आज बुंदेलखंड में राशन की उपलब्धि में पात्रों को राहत मिली हैं। देखिये चित्रकूट, बांदा और महोबा से खास रिपोर्ट –
बांदा की पुष्पा का कहना है कि 2005 में सात यूनिट का राशन का कार्ड बना था तब से लगातार राशन मिल रहा था, पर पिछले साल कट के राशन कार्ड एक यूनिट का बन गया और पांच किलो गल्ला बस मिलता है।
नीलम ने बताया कि 2015 में राशन कार्ड बनने के लिये आनलाइन करवाया था। कई बार चक्कर लगाने के बाद भी हमारा नाम नहीं आया तो मई 2017 में फिर से आनलाइन कराया है, अब देखो क्या होता है।
शकीला खातून का कहना है कि कई बार आनलाइन कराया है, लेकिन हमारा नाम नहीं आया है।
ननिया ने बताया कि कोटेदार भगा देता है कहता है कि तुम्हारे हिस्से का गल्ला नहीं आता है।
जानकी का कहना है कि हमें राशन में गेहूं नहीं मिलता है।
उधव दास ने बताया कि कई बार चक्कर लगाने पड़ते है तब भी राशन नहीं मिलता है।
चित्रकूट कोटेदार प्रेमनाथ मिश्रा का कहना है कि महिला का आदमी खतम हो गया है तो लेखपाल ने उसका नाम काट दिया है इसलिए राशन नहीं मिल रहा है।
महोबा मनीष दिवेदी ने बताया कि कई बार आनलाइन कराया है, हर बार सौ रूपये लगते है और अधिकारी कहते है कि अभी लिस्ट में नाम नहीं आया है। एक साल हो गये है लेखपाल ने नौकरी करने की गलत रिपोर्ट लगायी थी।
बांदा जिला पूर्ति अधिकारी राजीव तिवारी का कहना है कि विभाग को राष्ट्र सरकार से नही, केंद्र सरकार से मिलता है। जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा नियम लागू है, उसमें तय है कि हमें कितने लोगों को देना हैं। हर प्रदेश का आवंटन हो गया है। प्रदेश में 76.6 प्रतिशत जनसंख्या को दे दिया है किसी जिले में ये हो सकता है कि कम हो तो कट गया हो। ये अंगूठे की जांच से एक तरह से सुरक्षित हो जाता है कि जो लाभार्थी है असली है। नेटवर्क और मशीन की समस्या कभी-कभी हो जाती है और पूरे परिवार के आधार लिंक न हो, इस कारण राशन में दिक्कत हो जाती है।

रिपोर्टर- खबर लहरिया ब्यूरों  

Published on Feb 19, 2018