खबर लहरिया सबकी बातें योजनाओं के ढ़ेर पर बैठा बुंदेलखंड पहुंचा अकाल के नजदीक!

योजनाओं के ढ़ेर पर बैठा बुंदेलखंड पहुंचा अकाल के नजदीक!

editoriyalनवम्बर 2015 में बुंदेलखंड को सूखा-ग्रस्त राज्य घोषित करने के बाद उस पर लगातार योजनाओं की बौछार हो रही है। अलग अलग पार्टी के नेता आते हैं और मनभावन योजनाएं थमा कर चले जाते हैं। इसी बीच, सत्ता में बैठी अखिलेश सरकार के बुंदेलखंड चक्कर अचानक से बढ़ गए। इस जनवरी में उन्होंने ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना’ बुंदेलखंड में सबसे पहले लागू की और फरवरी में यूपी के बजट में बुंदेलखंड को स्पेशल पैकेज भी दिया। इसके अलावा, अभी अप्रैल में 199 करोड़ की योजना और सभी अन्त्योदय परिवारों को घी, दाल और तेल से भरे खाद्य पैकेट बांटे।
इसी दौरान, खबर लहरिया पिछले तीन महीनों से खाद्य सुरक्षा पर नजर रख रहा है। मीडिया में लगातार सूखा-ग्रस्त बुंदेलखंड की खबरें चर्चा पा रही हैं। बुंदेलखंड अकाल की तरफ बढ़ रहा है। लोगों पानी और खाने के मोहताज है। ऐसे समय में अखिलेश सरकार का खाद्य सुरक्षा लागू होना सराहनीय कदम है। लेकिन खबर लहरिया की तीन महीनो की पड़ताल के अनुसार, खाद्य सुरक्षा योजना अपनी तमाम कमियों के कारण यहां बेअसर साबित हो रही है।
ऑनलाइन पंजीकरण से लेकर राशन के वितरण तक हर स्तर पर केवल कमियां ही मौजूद हैं। ऑनलाइन पंजीकरण के नाम पर लोगों के कार्ड बदल दिए जा रहे हैं। राशन कार्ड में पांच सदस्यों वाले परिवार को एक इकाई मान कर अनाज दिया जा रहा है और आधे से ज्यादा आबादी को राशन कार्ड मिला ही नहीं है। हालत यह है कि गांव वाले भोजन मांग कर अपना पेट भर रहे हैं।
खाद्य सुरक्षा योजना का लक्ष्य है कि 75 प्रतिशत ग्रामीण लोगों को सुरक्षा कवच के भीतर लेकर उन्हें सस्ता अनाज उपलब्ध कराया जाए। लेकिन जमीनी स्तर पर यह कहीं भी कार्यशील नजर नहीं आ रहा है।
सवाल यह है कि यूपी की सरकार सूखे को मिटाने के लिए सिर्फ राहत का काम कर रही है जैसे- चेक, खाद्य पैकेट, चारा भूसा। लेकिन इस राहत पैकेज से किसी भी ग्रामीण का जीवनयापन नही हो सकता। इन हालातों में यदि अभी भी सरकार नींद से नहीं जागी तो निश्चित ही बुंदेलखंड को अकाल का सामना करना पड़ेगा।