खबर लहरिया खट्टा मीठा प्यार ये प्यार अपराध के दोष से कब बचेगा

ये प्यार अपराध के दोष से कब बचेगा

साभार: विकिपीडिया

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 377 आजकल बहुत चर्चां में हैं। अगर आप इसे नहीं जानते हैं, तो सबसे पहले इस कानून को समझ लेते हैं। अगर कोई व्यक्ति अप्राकृतिक रुप से यौन संबंध बनाता है तो उसे उम्रकैद या जुर्माने के साथ दस साल तक की जेल का प्रावधान है। यह धारा आज की नहीं हैं बल्कि 150 साल पुराना है।

पर भारत में इस धारा को खत्म करने के लिए लड़ाई अभी जारी है। 2017 तक विश्व के 25 देशों में समलैंगिकों के बीच यौन संबंध बनाने को कानूनी राजामंदी मिल गई है। जिनमें ब्रिटेन, कनाडा और अमरीका जैसे देश भी है। आपको बता दें कि समलैंगिक समान लिंग में दो लोगों के बीच होने वाले आकर्षण वाले व्यक्तिं को कहते हैं। इस समय सुप्रीम कोर्ट की 9 न्यायाधीशों की बैंच इस मद्दे को देख रही है और उन्होंने इसे निजता के अधिकार को मूल अधिकार करार दिया। अब ये बेंच देखेगी कि क्या ये मौलिक अधिकार और जीवन जीने का अधिकार में यौन स्वतंत्रता षामिल है।

देष में कई लोग हैं जो समलैंगिकता का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि समलैंगिकता अप्राकृतिक है, इसका चलन अब ही बढ़ा है। जबकि ऐसा नहीं हैं समलौंगिक लोगों की संख्या जरुर कम हैं, पर ये उतना ही नैतिक हैं, जितना स्त्री-पुरुष का प्यार। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायधीश एपी शाह ने 2009 में लिखा था कि समलैंगिकता लोग कैसे होते हैं, क्या ये बचपन से ही समलैंगिक होते हैं या बाद में बन जाते हैं, समलैंगिक लोग आम लोगों की तरह क्यों नहीं होते आदि बातें एपी शाह को लिखी गई थी। देखना अब ये कि इस प्यार को अपराध के दोष से मुक्ति मिलेगी या नहीं?