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मेरी पेशेवर जिंदगी का सबसे गंदा सच !

tlf_square_socialmedia (1)मेरी पेशेवर जिंदगी का यह बेहद शर्मिंदगी भरा और बुरा छिपा हुआ सच है। बाईस सालों के अपने करियर में मैंने रात में कभी काम नही किया। मुझे पता है कि यह सच सुनने में कितना अजीब लगता है। मैं विज्ञापन की दुनिया में हों। जहां रात में काम करना जरूरी बताने की कोशिश रहती है। अपनी कंपनी में मैं नेशनल क्रिएटिव डायरेक्टर हूं। भले ही सुनने में यह अजीब लगे कि ऐसे पेशे में होने के बावजूद भी मैंने कभी देर रात या पूरी रात दफ्तर में नहीं गुजारी। किसी महिला कर्मचारी के लिए रात में रुकना या देर रात तक काम करना हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है।

एक समय ऐसा था जब मैं सोचने लगी थी कि जो कर्मचारी देर रात तक रुकते हैं वह मुझसे ज्यादा बुद्धिमानए काम के लिए समर्पितए स्मार्ट हैं। इन बुद्धिमान लोगों के बीच मैं अपना बैग और टिफिन उठाकर सात बजे दफ्तर से निकलने वाली कर्मचारी हूं। मैं रात में काम कर ही नहीं सकती! मगर मैं ऐसे कई अपने सहयोगी पुरुष कर्मचारियों देर रात दफ्तर में न रुकने के कारण मुझे आलसी और कामचोर समझते हैं। मेरे यह सहयोगी घड़ी में साढ़े पांच बजते ही मुझ पर व्यंग करते हुए कहते हैं कि क्या यह समय तुम्हारे घर जाने का नहीं है घ् मुझे मालूम है यह लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं। पुरुषों के लिए दफ्तर में रहना एक तरह से उनकी प्रतिष्ठा और गर्व का विषय होता है। मैंने अक्सर देखा है कि जब वह दफ्तर मे होते हैं और अपने घर में पत्नियों या महिला मित्रों से फोन पर बात करते हैं तो उनकी टोन बेहद सख्त होती है। ऐसा लगता है कि दुनिया का कोई बहुत व्यस्त प्रेजिडेंट बात कर रहा हो। वह सख्त और व्यस्त लहजे में कहते हैं कि मैं लेट हो जाऊंगा। बस इतना कहकर वह फोन ऐसे काटते हैं जैसे पता नहीं किस आपातकालीन स्थिति में वह हैं। उनकी टोन सख्तए काल छोटी और जल्दबाजी वाली होती है जैसे लगता है कि कहीं आग लगी हो और आग बुझाने वाला कर्मचारी काम के दौरान बात कर रहा हो या कोई डाक्टर इमरजेंसी ड्यूटी में हो।
मगर कॉल के फौरन बाद अचानक उनके चेहरे का रंग और टोन बदल जाते हैं। धुआं उड़ाते हुए गप्पे मारनाए कैंटीन में धीरे धीरे चाय की चुस्कियों के साथ न खत्म होने वाली बहसें करनाए सचिन के रिटायरमेंट पर घंटों चर्चा करना। इतना धीरे धीरे वह यह सब करते हैं कि आप उतने से भी कम समय में किसी छोटी विज्ञापन की फिल्म को फाइनल करने का काम कर सकते हैं। यह लोग कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं। गेट टूगेदर करते हैं। दूसरी तरफ मेरे दफ्तर का समय दफ्तर का ही होता है। फिर भी मुझे देर रात तक रुकने वाले कर्मचारियों के तानों का सामना क्यों करना पड़ता हैघ् औरत दफ्तर के बाद के समय का लुत्फ पुरुषों की तरह क्यों नहीं उठा सकतीघ् देर से घर पहुंचने पर हमें अपराधबोध क्यों होता हैघ् हम ऐसा क्यों सोचते हैं कि जब हम घर देर से पहुंचेंगे तो बच्चे गुस्से में मिलेंगे घ् मां या घर के दूसरे लोगों और करीबियों का नजरिया हमारे यानी एक औरत के लिए क्यों अलग होता हैघ्
हर भारतीय मां को लगता है कि मेरा बेटा खून पसीने की कमाई करता है। मेरे बेटे पर काम का दबाव बहुत है। बहुत तनाव है। इसी सोच का फायदा पुरुष उठाते हैं और काम हो या न हो दफ्तर में देर रात रुकते हैं। वह ऐसा करके मेहनती पुरुष की छवि को और मजबूत करते हैं। दफ्तर में दो घंटे ज्यादा बिताने वाले पुरुष कर्मचारी का स्वागत एक हीरो की तरह घर पर होता है। घर पहुंचने पर पत्नी चाय लाएगी। घर के बच्चों को डांट डपटकर दूर कर दिया जाता है। जिससे पसीना बहाकर घर पहुंचना मेहनती और कमाऊ पुरुष सुकून से बैठ सकें।
फिर अगर तुम नौ बजे रात को घर पहुंचोगे तो बच्चे बिस्तर पर जा चुके होंगे। उन्हें होमवर्क करने में तुम्हें मदद नहीं करनी पड़ेगी। दस बजे देर रात पहुंचे तो फिर तो कुछ भी करने को नहीं बचेगा। आखिर दफ्तर में इतना काम जो किया है !
पुरुषों के लिए देर से घर पहुंचना सम्मान का कारण होता है। गर्व महसूस करने के क्षण होते हैं। इसलिए पुरुष आफिस में ज्यादा देर तक वक्त गुजारते हैं। देर रात तक दफ्तर में रुकना उन्हें गर्व से भर देता है। पुरुष हमारी तरह न तो काम करते हैं और न ही सोचते हैं। हमारी सोच ही कुछ ऐसी हो जाती है कि अगर बिना हमारा चेहरा देखे बच्चे सो जाते हैं तो खुद में हम अपराधी महसूस करते हैं। हमे बच्चों के होमवर्क की चिंता सताती है घ् हमारे बच्चे किसी बर्थ डे पार्टी में बिना उपहार लिए पहुंचेंगे तो कितना बुरा होगाघ्
यानी एक बात सो साफ है कि दफ्तर में ही हमारे काम के घंटे खत्म नहीं होतेए घर में भी हम एक शिफ्ट करनी पड़ती है। हम इसे बहुत चुपचाप करते हैं। बिना सबको बताए। यानी हम काम की दोहरी शिफ्ट या पारियां करते हैं। इसलिए अगली बार जब साढ़े पांच बजे अपना बैग उठाकर आप दफ्तर से निकलें तो झुकी नजरों के साथ नहीं बल्कि सिर उठाकर।
यह खबर आई है द लेडीज फिंगर से, जो खबर लहरिया के नए पार्टनर हैं ।  उनकी अंग्रेजी खबर यहां पढ़िए ।