खबर लहरिया बुंदेलखंड मुआवजा के बदले मिलत हे मोत

मुआवजा के बदले मिलत हे मोत

Photo0578उत्तर प्रदेश खे किसान हमेशा कोनऊ न कोनऊ समस्या से जूझत रहत हे। भारत खा कृषि प्रधान देश कहो जात हे, पे जोन देश में किसानन खा मुआवजा के बदले मोत मिले ऊ देश कृषि प्रधान ओर किसान प्रधान देश केसे हो सकत हे?
हम बात करत हें महोबा जिला के ऊं सैकड़न किसानन खे जीखी जमीन सरकार ने बांध बनाये खे लाने धोखे से ले लई हती। ओर फिर मूल्य से ज्यादा मुआवजा देय खे बात कही गई हती, पे आज तक कित्ते किसानन खा मुआवजा मिलो हे जा कोनऊ अधिकारी नई देखत आय। ओर बेचारा किसान सदमा खा के मर जात हें।
ईखा ताजा उदाहरण पनवाड़ी ब्लाक के विजयपुर गांव के मजरा पनारा को बालादीन बताउत हे कि 2012 में अर्जुन सहायक परियोजना के तहत बांध बनाओ गओ हे। जीमें हजारन किसानन खे बीसन बीघा जमीन डूब क्षेत्र में चली गई हे। जीखा मुआवजा अभे तक नई मिलो आय। हम लोगन ने 7-8 मार्च 2014 खा महोबा में अनशन भी करो हतो, पे पुलिस वालेन ने मार खे भगा दओ हतो। जीखे सदमें से कल्लू किसान की मोत हो गई।
एक केती सरकार ने किसानन की सुविधा खे लाने बांध खा निर्माण कराउत हे। दूसर केती हजारन किसानन से ऊखी जमीन ले लई गई हे। सरकार की ऐसी सुविधा कराये से का लाभ होत हे? जीमें किसानन खा फायदा होय से पेहले नुकसान होत हे। सरकार कछू भी सुविधा कराये से पेहले ऊखे नुकसान के बारे में काय नई सोचत आय? अगर सरकार किसानन खे जमीन एसई हड़पहे तो ऊखो परिवार केसे चलहे।
जभे सरकार खा जमीन खे हिसाब से किसानन खा मुआवजा नई देय खा हतो तो पेहले से सीधे सादे किसानन खा एसे लुभावने सपने काय दिखाओ हतो?