खबर लहरिया चित्रकूट माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदे मोहे? लेकिन चित्रकूट ज़िले के नांदी गांव में तो माटी ही नही है कुम्हारों से कुछ भी कहने के लिए

माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदे मोहे? लेकिन चित्रकूट ज़िले के नांदी गांव में तो माटी ही नही है कुम्हारों से कुछ भी कहने के लिए

जिला चित्रकूट,ब्लाक पहाड़ी के गांव नांदी मा कुम्हारन के जिन्दगी तौ दीपक के नीचे अंधेरा जइसे हवै। माटी के बर्तन खिलौना अउर दूसर चीज बनावैं खातिर कुम्हार जउन तालाबन से माटी निकालत रहै,वहिमा अब रोक लगा दीन गें हवै। माटी के बर्तन के जघा अब मड़ई प्लास्टिक अउर बिजली के सामान ज्यादा पसंद करत हवैं। यहै कारन लगभग पांच सौ परिवारन का आपन परिवार पाले के चिंता सतावत हवैं।
गोविन्द कुमार का कहब हवै कि माटी के समस्या लगभग बीस साल से हवै।माटी न मिलै के कारन बहुतै मड़ई आपन धंधा बंद कइ दिहिन हवैं।
शोभा लाल बताइस कि बहुतै दूरी से किराया भाड़ा लगा के माटी लइत हवै तौ परता नहीं पड़त आय।
चंदा का कहब हवै कि माटी न मिलै से हमार काम बंद होइगा हवै तौ मजदूरी कइके आपन परिवार चलावत हन।
सुनिया देवी बताइस कि चोरी से माटी लइत हवै, इनतान कउनौ नहीं लावै देत आय। माटी से दिया, कुढ़ऊवा, मटका, गगरी, दिवालिया अउर परई सबै बनत हवैं।
अश्वनी का कहब हवै कि घड़ा का पानी नींक रहत हवै, पै फ्रिज का पानी पिये खातिर सुरक्षित नहीं रहत आय।
प्रधान विनोद कुमार तिवारी बताइस कि माटी के जउन जघा हवै तौ वा विवादित हवैं।
कानूनगो रहमत खान का कहब हवै कि जबै चकबन्दी होइ तौ कुम्हारन का जमीन दीन जई।

  रिपोर्टर- सहोद्रा 

Published on Feb 20, 2018