खबर लहरिया अतिथि कॉलमिस्ट मांगने से नहीं लड़ने से मिलता है अधिकार

मांगने से नहीं लड़ने से मिलता है अधिकार

ममता जैतली

ममता जैतली

ममता जैतली राजस्थान में कई सालों से सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे लम्बे समय से नारीवादी आन्दोलन का हिस्सा रही हैं। उन्होंने 1998 में विविधा न्यूज़ फीचर्स की शुरूआत की थी जो महिलाओं पर हो रही हिंसा, और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर फोकस करती है। वे राजस्थान में ‘उजाला छड़ी‘ नाम का अखबार प्रकाशित करती हैं जो विकास और अन्य स्थानीय मुद्दों पर खबरें छापता है।

सरकारी नौकरी छोड़कर पहली बार जिला अजमेर की ग्राम पंचायत कादेड़ा में सरपंच बनी हैं युवा महिला कौशल्या जोशी। उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत में जमकर विकास किया। कौशल्या जोशी ने बताया कि कादेड़ा ग्राम पंचायत अजमेर जिले की सबसे पिछड़े क्षेत्रों में आती है। इसके नाम से ही समझ आता है, कादेड़ा यानी कीचड़ वाला गांव। ऐसा गांव जहां हल्की बरसात में भी घुटनों तक कीचड़ और पानी भर जाता था।

गांव के लोगों के कहने पर उन्होंने उन्होंने चुनाव लड़ा और जीतीं। कई महत्वपूर्ण काम भी करवाए। गलियों में सौर ऊर्जा से चलने वाली स्ट्रीट लाइट लगवाई। आज पूरे गांव में कहीं कोई कचरा नजर नहीं आता।

उनकी दूसरी उपलब्धि है गांव के विवादों का ग्राम स्तर पर ही निपटारा करवाना। वे बताती हैं कि उन्होंने पारिवारिक झगड़े, घरेलू हिंसा, आपसी विवाद किसी भी तरह के केस को थाने में दर्ज नहीं होने दिया। इन सबको गांव में ही हर गुरूवार को जनसुनवाई के दौरान ग्राम स्तर पर ही निपटाया। थाने वाले, लोगों को डराकर दोनों पक्षों से पैसा वसूलते थे। कौशल्या ने उनकी इस लूट को बंद करवाया। थाने वालों को पाबंद किया कि बिना सरपंच से पूछे वे एफ.आई.आर. नहीं लिखेंगे। इस तरह पुलिस द्वारा की जानेवाली चैथवसूली को कौशल्या जोशी ने बंद करवाया। मुख्य चैराहों पर उन्होंने पोस्टर लगवाए जिसमें लिखा गया कि चैथ वसूली नहीं होगी। यदि कोई करता है तो तुरंत सरपंच को बताया जाए।

कौशल्या जोशी की पंचायत में पेयजल की समस्या थी। महिलाओं को दूर से पानी लाना पड़ता था। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने पाइप लाइन डलवाई। पंचायत में दो लोगों को रखा और पेंशन के फार्म भरवाए। एक रजिस्टर बनाया ताकि काम में पारदर्शिता बनी रहे।

वे महिलाओं के साथ माह में दो से तीन मीटिंग करती हैं। इन मीटिंगों में भी बहुत से मुद्दों पर चर्चा हो जाती है। बालिका शिक्षा को अहम मुद्दा मानते हुए उन्होंने कस्तूरबा गांधी विद्यालय बनवाया है, जिसमें अनुसूचित जाति व जनजाति की बालिकाओं के नामांकन को सुनिश्चित किया है। गांव में बाल विवाह न करवाने की कसम दिलाई। इसके अलावा अपने गांव की पी.एच.सी को सी.एच.सी में बदलवाया।