खबर लहरिया राजनीति मंगल की तरफ भारत का पहला कदम

मंगल की तरफ भारत का पहला कदम

07-11-13 Desh Videsh - Solar Systemभारत के आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीहरिकोटा नाम की जगह से मंगलयान 5 नवंबर को छोड़ दिया गया है। पूरी दुनिया में भारत ऐसा तीसरा देश है जिसने मंगल अभियान शुरू किया है। भारत से पहले रूस और अमेरिका मंगल ग्रह पर यह अभियान शुरू कर चुके हैं। इस अभियान का उद्देश्य मंगल ग्रह पर जीवन, जलवायु के बारे में आंकड़े जुटाना है।
कैसे होगा मंगल तक का सफर-
मंगलयान तीन चरणों मंगल ग्रह में प्रवेश करेगा। पहले चरण में मंगलयान चार हफ्ते तक धरती का चक्कर लगाएगा। इस दौरान ये धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर होता जाएगा। दूसरे चरण में मंगलयान पृथ्वी से बिल्कुल बाहर निकल जाएगा। तीसरे चरण में ग्रह के भीतर पहुंच जाएगा। फिर इसमें लगी मशीनें इसके बारे में जानकारियां इकट्ठी कर पृथ्वी के वैज्ञानिकों को भेजने लगेंगी।
क्या है ये अभियान – धरती के अलावा हमें समुद्र दिखाई पड़ता है। पर समुद्र और धरती जिसे हम देख पाते हैं, उसके अलावा कई और भी जगहें हैं, जिन्हें खोजा जाना बाकी है। इन्हें ग्रहों का नाम दिया जाता है। चंद्र ग्रह, मंगल ग्रह और भी कई। वैज्ञानिकों को लगता है कि धरती की तरह ही इन ग्रहों में भी जीवन है। ऐसा भी हो सकता है कि जैसे हम एक देश से दूसरे देश जाते हैं। वैसे ही एक ग्रह यानी धरती से दूसरे ग्रह तक का भी सफर तय कर लें। भारत भी ऐसे ही खोजा गया था और अमेरिका भी ऐसे ही खोजा गया था।
उठ रहे हैं सवाल-
दुनिया में मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के अनुसार जिस भारत में आधे से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, आधे से ज्यादा परिवारों के पास शौच की व्यवस्था नहीं है। ऐसे देश में सारे चार सौ करोड़ रुपयों को एक ग्रह की खोज में लगाना क्या ठीक है? ऐसे और भी सवाल हैं ग्रामीण इलाकों में अभी तक सबके पास स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंची हैं। लोगों के पीने लायक पानी नहीं मिल पा रहा है।
समर्थकों की राए-हाल ही में उड़ीसा में आए फेलिन नाम के महातूफान में चव्वालिस जानें गईं। जबकि 1999 में यहीं पर इतने ही तेज तूफान ने दस हज़ार लोगों की जानें लीं थीं। मौसम विभाग को अंतरिक्ष में स्थापित मशीनों से मिलने वाले सिग्नल थे। जिनके आधार पर वहां की सरकार ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दीं थीं। खतरे वाली जगहों से लोगों को पहले ही हटाया जा चुका था।