खबर लहरिया राजनीति भूमि अधिग्रहण के नियमों में बदलाव

भूमि अधिग्रहण के नियमों में बदलाव

नई दिल्ली। 30 दिसंबर को नरेंद्र मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम कानून में मुआवज़े और पुनर्वास के नियमों में बदलाव लाने की प्रक्रिया शुरू की। विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया और कहा कि यह बदलाव किसानों के हित में नहीं है।
कई नेताओं ने सरकार की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया क्योंकि सरकार ये बदलाव एक अध्यादेश (फैसले) के रूप में ला रही है। इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम में विस्तार से बताया गया है कि जब सरकार किसानों की ज़मीन लेना चाहती हो तो ज़मीन के लिए मुआवज़ा और किसानों के पुनर्वास को तय करने के लिए किन नियमों का पालन करना होगा। यह कानून किसानों के अपनी ज़मीन पर हकों को मज़बूत बनाने के लिए 2013 में लाया गया था।
सरकार ने अब कुछ कार्यों के लिए ज़मीन खरीद पर से इन नियमों को हटाने की मांग की है। जैसे अगर सरकार सस्ते घरों की कालोनी बनाने के लिए ज़मीन चाहती है तो सरकार तय करेगी कहां कौनसी ज़मीन लेकर उसके बदले कितना मुआवज़ा दिया जाएगा। ऐसे में किसान के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं लागू होगा।