खबर लहरिया औरतें काम पर भारत के ज्यादातर हिस्सों में शर्म और पांबदी के कारण अस्वास्थ्यकर माहवारी प्रथाएं हैं जारी

भारत के ज्यादातर हिस्सों में शर्म और पांबदी के कारण अस्वास्थ्यकर माहवारी प्रथाएं हैं जारी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत के 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल सात राज्यों में 15-24 आयु वर्ग की 90% या अधिक महिलाएं मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ख्याल रखती हैं।

2015-16 में जारी की गई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 के अनुसार, आठ राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 50% से भी कम महिलाओं ने मासिक धर्म के दौरान स्वच्छ तरीकों का इस्तेमाल किया है। बिहार के लिए 31% के बद्तर आंकड़ों के साथ इन आठ राज्यों का औसत 43.5% था।

भारत में माहवारी अब भी प्रतिबंध, शर्म और संकोच का विषय माना जाता है। मासिक धर्म के दौरान स्वास्थ्य पर एक अध्ययन के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अब भी अपवित्र समझा जाता है और उन पर कई तरह के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं। यह अध्ययन जल, स्वच्छता और स्वच्छता से निपटने वाले सामूहिक संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था। अध्ययन के अनुसार 70% भारतीय माताएं मासिक धर्म को गंदा और अछूत मानती हैं।

भारत में माहवारी की शर्म के कारण लड़कियां स्कूल तक छोड़ देती हैं। इससे भारत में महिला साक्षरता का स्तर गिरता जा रहा है। ग्रामीण भारत में 23% लड़कियों ने स्कूल छोड़ने के मुख्य कारण मासिक धर्म बताया है। इनमें से करीब 28% ने कहा कि स्वच्छता और संरक्षण की कमी के कारण वे महावरी के दौरान स्कूल नहीं जाती हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 के अनुसार, 11 राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के शहरी इलाकों में 90% से अधिक महिलाओं ने मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई का ख्याल रखा है। बिहार 55.6%, दादरा नगर हवेली 66.4%, मध्य प्रदेश 65.4%, त्रिपुरा 56.5% और उत्तर प्रदेश 68.6% इस मान्यता को ध्वस्त करते हैं कि भारत में 70% से अधिक शहरी महिलाएं स्वच्छ मासिक संरक्षण का इस्तेमाल करती हैं। इनमें 26.4% के साथ मध्यप्रदेश की स्थिति सबसे खराब हैं।

भारत में युवा लड़कियों के बीच मासिक धर्म के संबंध में बहुत कम जागरूकता है। जल सहायता, पाथ, जरिया, विकास समाधान और जल आपूर्ति और स्वच्छता सहयोगी परिषद द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन के अनुसार केवल 55% लड़कियां इसे प्राकृतिक और सामान्य शारीरिक प्रक्रिया मानती हैं।

अध्ययन से पता चला कि मासिक धर्म के दौरान 89% महिलाओं ने कपड़े का इस्तेमाल किया, 2% ने कपास ऊन, 7% ने सेनेटरी पैड और 2% ने राख का इस्तेमाल किया। कपड़ा इस्तेमाल करने वालों में से 60% ने दिन में केवल एक बार इसे बदला है। ऐसी स्थिति में इसे समझना आसान है कि क्यों 14% लड़कियों ने मासिक धर्म के दौरान संक्रमण होने की जानकारी दी।

फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड