खबर लहरिया चित्रकूट बिन पानी के ज़िन्दगी बेकार हवैं

बिन पानी के ज़िन्दगी बेकार हवैं

कुआँ का गन्दा पानी पिए का मजबूर हवै

बुंदेलखंड के लोग पानी समस्या कबै तक झेलत रहि हैं। गर्मी अउतै जघा-जघा के जल स्तर कम होत चला जात हवै। पै या समस्या आज तक कउनौ सांसद विधायक अउर मंत्री नहीं हल कइ पाइन हवैं। गरीब जनता पानी खातिर दर-दर भटकत हवैं। कत्तौ दुइ किलोमीटर तौ कत्तौ पांच किलोमीटर दूर से पानी लाये का मजबूर हवैं। पानी के गम्भीर समस्या के कारन मड़ई दूसर काम नहीं कइ पावत आहीं काहे से पूर समय तौ मड़इन का पानी तालाशै मा चला जात हवै। जेहिकर छोट परिवार हवै तौ वहिका भी गरमी मा कम से कम पचास साठ लीटर पानी के जरूरत हवै। पै जेहिके घर मा पचासन लोग हवैं तौ वहिकर तौ पूर दिन पानी भरै मा चला जात हवै तबहूं। कत्तौ-कत्तौ रात मा मड़इन का पियासे सोय का परत हवै। बुंदेलखंड के या समस्या कत्तौ ख़त्म होइ? या मड़ई पानी-पानी चिल्लात रहि हैं?
पानी के समस्या सब से ज्यादा चित्रकूट जिला के मानिकपुर क्षेत्र मा हवैं। हिंया के कइयौ गांव इनतान हवैं जहां पानी ना आवै से मड़ई लड़का लड़कियन के शादी नहीं होत हवै। या कारन मड़ई आपन बच्चन के शादी रिश्तेदारन के हिंया से करत हवैं। मानिकपुर गांव के गोबरिहा के मड़ई जंगल से चोहड़ा से पानी लावत हवैं। तौ रामपुर गांव मा साठ साल से मड़ई पिये के पानी का तरसत हवैं।
डाड़ी गांव मा पानी खातिर मड़ई भटकट हवैं। हज़ारन गांव इनतान के हवैं जहां पानी के घोर संकट बनी हवै, पै तबहूं सरकार पानी खातिर कुछ व्यवस्था काहे नहीं करवावत आय? का जनता पियासन मरत रही? तबै सरकार के आंखी खुली या कुछ पहिले से व्यवस्था सरकार करवाई?
सरकार जउन व्यवस्था करवावत भी हवै तौ नाम खातिर पानी के ट्रेकर गांव मा जात हवैं तौ बड़े मड़ई पानी भरत हवैं। गरीब रही जात हवैं। कत्तौ-कत्तौ तौ पानी खातिर मारपीट भी होइ जात हवैं। बड़े जाति माने जाये वाले मड़ई दलितन अउर आदिवसियन का तौ छुआ-छूत के कारन पानी नहीं भरै देत आहीं। या कारन उंई प्यासे रही जात हवैं ट्रेकर आवै ना आवै से बराबर हवैं। या समस्या कसत खतम होइ?