खबर लहरिया औरतें काम पर बिन्सर की वादियों में महिला वैज्ञानिक

बिन्सर की वादियों में महिला वैज्ञानिक

साभार: ओरस इल्यास

दिल्ली की दो महिला विज्ञान विषय की पत्रकार आशिमा डोगरा और नन्दिता जयराज अपनी योजना ‘द लाइफ ऑफ साइंस’ में देश भर की महिला वैज्ञानिकों से बातचीत कर रही हैं। इसी सिलसिले में नन्दिता जयराज पहुंची अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में, जहां वह मिली 44 वर्षीय ओरुस इलयास से, जो अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में वान्य जीव विज्ञान विभाग में शिक्षक है (आसिटेंट प्रोफेसर) और वह इस विश्वविद्यालय से अपने एम ए सी के दिनों से जुड़ी हुई हैं।
ओरूस का सफर 1996 में कुमांऊ की घाटियों में बसे बिन्सर से शुरु होता हैं। बिन्सर घाटी में स्थित वन्यजीव अभयारण्य 1988 में वहां के निवासियों के संघर्ष के बाद स्थापित हुआ था, जो चौड़े पत्ते वाले वृक्ष बलूत को संरक्षित करने के लिए हुआ था।
ओरुस अपने पी एच डी के अध्ययन के लिए बिन्सर जैसे अंजान क्षेत्र में पाए जाने वाले हिरन और गोरेला पर करती हैं। ओरुस ने बिन्सर में उस समय काम किया, जब वहां बाहर से बहुत कम ही यात्री आते थे और ठहरने के लिए जगह भी नहीं मिलती थी। इन सब बातों के बावजूद ओरुस ने सब चुनौतियों को स्वीकार करते हुए वहां काम करने का इरादा किया। उनकी इस शोध का संचालन ‘विश्व वन्यजीव कोष’ (डब्ल्यू डब्ल्यू एफ) ने किया था।
इस इलाके में पहले भी कई योजनायें चली थी पर स्थानीय लोगों के सहयोग के बिना वे सब यहां कुछ नहीं कर पाये, जिसके कारण यहां के लोगों का वन में उनका अधिकार था और वे नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें वनों की लकड़ी या अन्य सामग्री इस्तेमाल करने से रोके।
ओरुस ने इस इलाके की महिलाओं को अपने साथ लिए था, जिसमें उनका महिला होना एक पुरुष शोधार्थी से ज्यादा फायदेमंद हुआ, क्योंकि वह महिलाओं से बात करने के लिए उनके रसोई तक जा सकती थी। बिन्सर में केवल 10 से 20 प्रतिशत लोग ही रोजगार में थे, जिसमें से भी अधिकतर आर्मी में थे। इस कारण से यहां के लोगों का वनों पर निर्भरता अधिक थी।
ओरुस ने अपनी योजना में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया। ओरुस सूरज निकलने से पहले घाटियों में चली जाती थी क्योंकि उस समय वनजीव बहुत अधिक सक्रिय होते हैं। बिन्सर में उनके काम के बीच उनकी शादी हो गई और उन्होंने गर्भ अवस्था में भी यहां काम किया, जिसके कारण ही उनकी बच्ची समय से पहले हो गई। इस सब परेशानियों के बीच में उन्होंने बिन्सर पर अपना काम करना नहीं छोड़ा। उनके इस लगन का ही परिणाम था कि उनका रिसर्च पेपर अन्तराष्ट्रीय जर्नल में छापा।
ओरुस कभी भी बिन्सर से जाना नहीं चाहती थी पर वह आज भी वहां के लोगों के सम्पर्क में हैं। आज बिन्सर का इलाका बहुत विकसित हो गया है, यहां पर्यटन को बहुत बढ़ावा मिला है। पर आज भी ओरुस के इस इलाके में बताई गई जंगली समस्याएं बनी हुई हैं।

साभार: द लाइफ ऑफ साइंस