खबर लहरिया चित्रकूट किसान कैसे करेंगे खेती जब नहीं है ट्यूबवेल, चित्रकूट जिले के सरैयां गांव की कहानी

किसान कैसे करेंगे खेती जब नहीं है ट्यूबवेल, चित्रकूट जिले के सरैयां गांव की कहानी

जिला चित्रकूट,ब्लाक मानिकपुर,गांव सरैया, किसानन के देश के विकास करै मा बहुतै योगदान रहत हवै। पै राजनीतिक पार्टी वोट बटोरे खातिर किसानन के जिन्दगी से खिलवाड़ करत हवै अउर किसानन खातिर  तरह –तरह के योजना बनावत हवैं पै इं योजना खाली कागजन मा बनत हवै।जिला चित्रकूट,ब्लाक मानिकपुर,गांव सरैया किसानन के देश के विकास करै मा बहुतै योगदान रहत हवै। पै राजनीतिक पार्टी वोट बटोरे खातिर किसानन के जिन्दगी से खिलवाड़ करत हवै अउर किसानन खातिर  तरह –तरह के योजना बनावत हवैं पै इं योजना खाली कागजन मा बनत हवै। किसान के सिंचाई खातिर सरकारी ट्यूबेल लगावै का कहा गा रहै पै सरैया गांव मा अबै तक कउनौ ट्यूबेल नहीं लाग आय। लघु सिंचाई विभाग के बाबू लालचन्द्र कुशवाहा का कहब हवै कि ट्यूबेल लगावै खातिर कीन जात हवै फेर विभाग के मड़ई बोरिंग करै जात हवै। ज्ञानी देवी बताइस कि गेंहू के फसल खातिर पांच दरकी सिंचाई करै का पड़त हवै। 1 बीघा सिंचाई करै खातिर एक हजार रुपिया लागत हवै। हमार खेत बहुतै दूरी हवै यहै कारन हुंवा सिंचाई नहीं होइ पावत आय। रामसजीवन अउर कृष्ण अवतार का कहब हवै कि आठ बीघा धान के फसल बोये हन पै बिना सिंचाई सब सूखी जात हवै। हर साल 15-20 कुंटल का नुकशान होत हवै। ट्यूबेल खातिर कइयौ दरकी मांग करे हन पै अबै तक कउनौ सुनवाई नहीं भे आय। रामकिशोर गुप्ता बताइस कि नौ बीघा खेती हवै बारिस के अलावा सिंचाई खातिर दूसर साधन साधन नहीं आय। बेदनाथ शुक्ला का कहब हवै कि कुंवा से थोड़ी बहुत सिंचाई होत हवै।बड़े आदमी ट्यूबेल लगवाये है। साधना बताइस कि ट्यूबेल होत तौ दुगना फसल पैदा होत।

रिपोर्टर- नाजनी रिजवी

Published on Aug 19, 2017