खबर लहरिया महोबा बिना मानदेय कौन सिखाएगा बच्चों को खेल

बिना मानदेय कौन सिखाएगा बच्चों को खेल

पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (पायका) के तहत ग्रामीण स्तर पर बच्चों को प्रशिक्षण के साथ उनके लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराने के लिए क्रीड़ा श्रीओं (प्रशिक्षकों) को केवल पांच सौ रुपय प्रति माह देने का नियम रखा गया था।  उसे भी सरकार पूरा नहीं कर पायी है।

पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (पायका) के तहत ग्रामीण स्तर पर बच्चों को प्रशिक्षण के साथ उनके लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराने के लिए क्रीड़ा श्रीओं (प्रशिक्षकों) को केवल पांच सौ रुपय प्रति माह देने का नियम रखा गया था। उसे भी सरकार पूरा नहीं कर पायी है।

जि़ला महोबा। जि़ले में सन 2008-09 में युवा कल्याण विभाग की पायका योजना के तहत क्रीड़ा श्री (खेल सिखाने वाला) पचास गांव में नियुक्त किए गए थे। जिसमें हर क्रीड़ा श्री (खेल सिखाने वाले) को पांच सौ रुपए प्रतिमाह मानदेय था। लेकिन साल 2011 से यह मानदेय किसी को नहीं मिला है। महोबा के सभी ब्लाकों में इस पद पर नियुक्त लोगों ने एस.डी.एम. को 5 अगस्त 2014 को दरखास दी है। इसमें न सिर्फ वेतन देने बल्कि इसे बढ़ाने की मांग भी की गई है।
ब्लाक कबरई, गांव ग्योड़ी के इन्द्रपाल सिंह, ननौरा का धीरज नायक, भटेवर कला के शंकर पाल और सिजहरी गांव के हरिओम सिंह ने बताया कि हम लोगों को गांव के बच्चों को खेल सिखाने के लिए नियुक्त किया गया था। लेकिन हमें वेतन नहीं दिया गया।
ब्लाक चरखारी, गांव सूपा के नवाब सिंह यादव, अनघौरा के पवन और सालट गांव के करन सिंह ने बताया कि हमारा छह माह का वेतन 15 जुलाई 2011 को मिला था। उसके बाद नहीं मिला।
ब्लाक जैतपुर गांव सतारी के सुरेन्द्र सिंह, अजनर के मनोज कुमार ने बताया कि इस महंगाई में वैसे भी पांच सौ रुपए कुछ नहीं हैं। लेकिन यह भी हमें कभी नहीं मिलता।
ब्लाक पनवाड़ी गांव बेंदौ के सुरेश चन्द्र किल्हौवां के जागेश्वर और नगारा घाट गांव के हरीराम ने बताया कि हमने दरखास में रुका हुआ मानदेय देने की मांग के साथ इसे बढ़ाने की भी मांग की है।

खेल सिखाने की सरकारी योजना
युवा कल्याण विभाग के क्षेत्रीए अधिकारी नरेन्द्र सिंह सेंगर ने बताया कि ये भारत सरकार की योजना 2008-09 और 2009-10 में लागू हुई थी। खेल सिखाने वाले का पांच सौ रुपए मानदेय था। जो कीड़ा श्री (खेल सिखाने वाले) 2009-10 जुड़े हैं। उनका पूरा मानदेय मिल चुका है। लेकिन 2008-09 वालों का मानदेय बाकी है। अगर सरकार ने बजट भेजा तो उनका भी मानदेय दिया जाएगा। यह योजना गांवों में खेलों के प्रति बच्चों में रुचि जगाने के लिए चलाई गई है।