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प्रधानमंत्री के लिए, किसानों का खुला संदेश

KL_080616_Feature image 1भारत के प्रधानमंत्री बनते ही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जुलाई 2014 में दिल्ली में, कृषि वैज्ञानिकों के एक समूह को भाषण दिया था. उस भाषण में उनहोंने देश के किसानों की बहुत अधिक प्रशंसा की थी. उन्होंने ये तक भी कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को केवल किसानों की परेशानियों को गिनने के अलावा, उनके लिये जल्द-से-जल्द उपाय भी देने चाहिये.

मोदी सरकार को केन्द्रीय सत्ता में आये दो साल हो चुके हैं. इन दो सालों में क्या वो किसानों को किये गए वादों पर खरे उतरे हैं?

अख़बारों और इन्टरनेट से यह बात सबको पता है, कि आज देश में बढ़े-पैमाने पर सूखे की समस्या है. कृषि वैज्ञानिक ऐसे बीज बना सकते हैं जो सूखे में किसान इस्तेमाल कर सकें, परन्तु उन्हें अधयन्न करने के लिये सरकार से बहुत कम पैसा मिलता है. यदि सरकार से थोड़ी आर्थिक मदद मिल जाये, तो सूखे से परेशान किसानों को काफी राहत मिल सकती है.

भारत में पिछले कुछ दशक में सबसे ज्यादा सूखा का प्रभाव इस साल हुआ है. पर प्रधानमंत्री जी को अपने अन्तराष्ट्रीय भ्रमण और चुनाव प्रचार से फुर्सत ही नहीं मिलता है ताकि वे सूखे से पीड़ित राज्यों में जाने का समय निकाल सके. 2014 के चुनाव के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि उत्पाद की न्यूनतम समर्थन कीमत 50% बढ़ाई जाएगी. परन्तु वास्तव में केवल न्यूनतम समर्थन कीमत 4.5% ही बढ़ी है.

किसानों के लिये ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. सरकार को जल्द-से-जल्द इनका समाधान निकालना होगा.