खबर लहरिया अतिथि कॉलमिस्ट प्रदेश में जिसकी लाठी उसकी भैंस

प्रदेश में जिसकी लाठी उसकी भैंस

सुमन गुप्ता

सुमन गुप्ता

सुमन गुप्ता उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे फैज़ाबाद स्थित जन मोर्चा अखबार में काम करती हैं। इस समय वे यू.पी. स्तर पर पत्रकार हैं।

आबादी को आधार बनाकर देखें तो देश का सबसे बड़ा राज्य है उत्तर प्रदेश। प्रदेश में अपराध की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। विकास का मुद्दा तो चर्चा का कारण कभी कभार ही बनता है। मगर हिंसा औऱ अपराध तो रोज की खबरें बन गई हैं। हम यदि आंकड़ों पर न भी जाएं तो जमीनी सच्चाई साफ साफ देखी जा सकती है। एसा माहौल है जिसमें कोई भी आवाज उठाने से डरेगा। शरीफ आदमी चुप रहने में ही भलाई समझता है। आखिर अपराध करने वालों के हौसले क्यों बुलंद हैं? यह एक बड़ा सवाल है। क्या कोई गठजोड़ बन गया है? जो अपराधियों को मदद कर रहा है। अपराधी इतने शातिर हैं कि वह पुलिस पर भी हमले कर रहे हैं। उधर जनता पुलिस पर से भरोसा खो चुकी है। राज्य की व्यवस्था इसलिए की गई थी कि राज्य में कानून और अनुशासन रहे। जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसा राज न हो। मगर प्रदेश में पावर और पैसा बोल रहा है।

अगर देखें तो अपराधों के मुकाबले अपराधियों को मिलने वाली सजा की संख्या बहुत कम है। कभी सबूतों के अभाव में, कभी राजनैतिक दबाव तो कभी लापरवाही में अपराधी बच निकलते हैं। लोग पुलिस पर भरोसा करने की जगह किसी गुंडे पर भरोसा करते हैं। यह गुंडे स्थानीय माफिया होते हैं जो स्थानीय आम जनता को कुछ बहुत फायदा देकर अपनी ताकत के बल पर सरकारी ठेके, पट्टे, खनन और जमीन की खरीद फरोख्त करने से लेकर सारे नाजायज धंधे कर रहे हैं। इनके खिलाफ अगर कोई बोलता है तो वह बचता नहीं। बचता है तो पुलिस उसकी सुनती नहीं। प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में कई एसे नेता हैं जो पहले दबंग या माफिया थे। मौजूद समय में सेंधमारी या चोरी चकारी के मुकाबले बलात्कार, सांप्रदायिक हिंसा, हत्या के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। हाल ही में पत्रकार जगेंद्र की हत्या, बाराबंकी में एक महिला की थाने के सामने जलकर मौत, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गौरी हत्याकांड जिसमें एक बोरे में औरत के टुकड़े टुकड़े करके फेक दिए गए थे, जैसी घटनाएं तो आम हो गईं हैं। दरअसल एसी घटनाओं से लोगों में डर भरना आसान होता है।

इन घटनाओं का सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आंकलन जरूरी है। क्योंकि देश में युवा ज्यादा हैं। गलत या सही रास्ते पर चलकर यह जल्दी सफल होना चाहते हैं। यही लोग नेताओं, नौकशाहों और माफियाओं के हाथ की कठपुतली बनकर हिंसा करते हैं।