खबर लहरिया जवानी दीवानी पुरूषों के वर्चस्व में एक दलित महिला का तबलावादन

पुरूषों के वर्चस्व में एक दलित महिला का तबलावादन

unnamed-1-1-wकला के क्षेत्र भी अन्य क्षेत्रों की तरह बनाया जा सकता है – ‘पुरुषों को महिलाओं की तरह नृत्य नहीं करना चाहिये और महिलाओं को संगीत के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिये’ इस तरह के पूर्वाग्रहों के लिए कला का क्षेत्र छोटा है। यहाँ आज महिलाएं भी अपना हाथ आज़मा रही हैं और उन्हें अब पुरूषों की तरह ही स्वीकार किया जा रहा है।
मिठू टिकादर की असाधारण पसंद है तबला। परंपरागत रूप से इसे पुरुष के प्रयोग का उपकरण माना जाता है। इसलिए मिठू को लगातार तबलावादन के क्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ा। सबसे बुरा तब लगा जब उनकी चाची ने उन्हें महिलाओं के लिए अपमानजनक बताया था। निडर मिठू ने अपनी माध्यमिक स्कूल परीक्षा के लिए एक विषय के रूप में तबलावादन को चुना और इसे अपना आजीविका बनाने का फैसला किया।
तब से मिठू ने एक लंबा सफर तय किया है। आज वह आत्मनिर्भर हैं और वह मात्र एक ऐसी दलित महिला हैं जो कॉलेजों में तबला पढ़ाने योग्य बनी हैं। यही नहीं उन्हें संगीत वाद्ययंत्र पढ़ाने की राष्ट्रव्यापी परीक्षा में भी सफलता मिल चुकी है। लेकिन अभी भी इस पितृसत्तात्मक संस्कृति में उनका संघर्ष जारी है।

फोटो और लेख साभार:यूथ की आवाज़