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पानी न होंय के कारन जानवरन की मोत

sukha para talabई साल के सूखा ने दस साल को रिकार्ड टोर दओ हे। आदमी तो कोनऊ तरह से आपन प्यास बुझा लेत हे। पे जानवरन मे पानी खे लाने तबाही मची हे। एक महीना में सत्तर जानवरन की मोत हो गई हे।
जिला महोबा, ब्लाक पनवाड़ी, गांव नटर्रा।। एते को विश्वनाथ बताउत हे की मोये पास चार जानवर हते। तीन जानवर मर गये हे। एक गाय बची हे। जभे तक हमाये पास भूसा हे तो खबाउत हें। नई फिर खुला छोड़ देहे। मरे चाहे जिये। काय से परिवार में छह लोग हे। मजदूरी करके परिवार पालत हें।
जुगल किशोर कहत हे की सात लोगन को परिवार हे। चार जानवर हे। पन्द्रह सौ रूपइया को कुन्टल भूसा खरीदो हे। दो किलो मीटर दूर से पिये खा पानी लाउत हे। जयप्रकाश अहिरवार कहत हे की तीन जानवर हे। ई सूखा के कारन खेत तालाब कुआं ओर हैण्डपम्प सूखे परे हे। जानवर भूख ओर प्यास के कारन आय दिन दो चार जानवर मरत हे। एक महीना में लगभग सत्तर जानवरन की मोत हो गई हे। जभे की शासन ने जानवरन के लाने भूख ओर प्यास से निपटे के लाने करोड़ो रूपइया को बजट भेजो हे।
प्रधान देवेन्द्र सिंह राजपूत कहत हे की बजट न होंय के कारन अभे जानवरन के लाने चरही नईं बनवा पाई हे। अब जोन काम हो हे तो ऊमें चरही बनवाई जेेहे। में अपने टयूबवेल से तालाब में पानी भराउत हों। जीसे कोनऊ तरह की परेशानी न हों।