खबर लहरिया राजनीति पहली ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर

पहली ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर

(फोटो साभार - भास्कर डाट काॅम)

(फोटो साभार – भास्कर डाट काॅम)

चेन्नई। तमिलनाडु के चेन्नई में देश की पहली ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर बन गई हैं। पच्चीस साल की पृथिका याशिनी को इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। दरअसल यह लड़ाई तब शुरू हुई जब चेन्नई में सब इंस्पेक्टर की पोस्ट के लिए पृथिका ने एप्लीकेशन भेजी। मगर ट्रांसजेंडर होने के कारण उनकी एप्लीकेशन को खारिज कर दिया गया।
पृथिका ने मद्रास हाईकोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की। फिर करीब एक साल मुकदमा लड़ा। पांच नवंबर को मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें सब-इंस्पेक्टर पोस्ट के लिए फिट घोषित किया था। हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सेवा भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया कि वह पृथिका को पुलिस सब-इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात करे।
कोर्ट ने बोर्ड को यह भी आदेश दिया कि अगली भर्ती प्रकिया से वह तीसरे लिंग की श्रेणी में ट्रांसजेंडर को भी शामिल करे। ट्रांसजेंडर पृथिका यशिनी के आवेदन पत्र को नामंजूर कर दिया गया था। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा मानते हुए सरकारी भर्तियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए सभी प्रकार के आरक्षण के लाभ देने का आदेश भी दिया था।
पृथिका ने बताया कि मैं हमेशा से खाकी वर्दी पहनना चाहती थी। मगर मेरा जेंडर इसके आड़े आ गया। फाॅर्म में औरत और पुरुष दो ही कैटेगिरी थीं। मेरे नाम से लोग मेरे जेंडर का अंदाज़ा नहीं लगा पा रहे थे। मैं क्या कैटेगिरी चुनूं यह मेरे लिए चुनौती थी। मैंने कोर्ट का रास्ता पकड़ा। वकील भवानी सुब्रमण्यम से जब मैंने इस विषय पर बात की तो वह इस मुकदमे को लड़ने के लिए तैयार हो गईं। कोर्ट ने लिखित परीक्षा के लिए मुझे योग्य मानते हुए परीक्षा में बैठने का आदेश जारी किया। फिर फिटनेस टेस्ट। इसके बाद इंटरव्यु। भर्ती के इन सारे पड़ावों में मेरे जेंडर के कारण रुकावटें आईं। मगर कोर्ट ने जब इन सभी पड़ावों का मूल्यांकन करवाया और पाया कि मैं इस पोस्ट के लिए बिल्कुल फिट हूं तो मुझे इस पोस्ट में नियुक्त करना पड़ा।
पृथिका ने बताया कि ‘मेरे पिता सलीम टेलर हैं। जब मैं नौवीं में थी उस वक्त मुझे महसूस हुआ कि मेरे भीतर लड़के वाला एहसास नहीं है। मेरे माता-पिता मुझे मंदिर ले गए। ज्योतिषियों को दिखाया। डाॅक्टरों से इलाज करवाया। मेरे लिए जिं़दगी कठिन हो रही थी। 2011 में मैं एक दिन चेन्नई भाग आई। बिना किसी सहयोग के मैंने अपनी जिंदगी शुरू की। रेलवे स्टेशन पर टाइम गुज़ारा। मैंने कई काम किए।’
पृथिका ने बताया कि ‘मेरे ऊपर अब बड़ी जि़म्मेदारी है। एक तो यह पोस्ट खुद भी जि़म्मेदारी भरी है। दूसरे मेरे समुदाय के और लोगों को ऐसे मौके मिलें इसके लिए मुझे दूसरों के मुकाबले ज़्यादा बेहतर काम करना होगा।’ पृथिका यू.पी.एस.सी. परीक्षा पास करके आई.पी.एस. आॅफिसर भी बनना चाहती हैं।