खबर लहरिया चित्रकूट नए बजट से कौन हैं खफा कौन हैं खुश? जानते हैं चित्रकूट और महोबा से

नए बजट से कौन हैं खफा कौन हैं खुश? जानते हैं चित्रकूट और महोबा से

एक बार फिर से बजट पेश हो चुका है,इस बजट से पूरे देश में हलचल मची हुई है कहीं इसे अमीरों का बजट कहा जा रहा है, तो कही किसानों का बजट।आइये देखते है क्या है बुंदेलखंड के लोंगो की राय?
चित्रकूट के दुकानदार देवेन्द्र सोनी ने बताया कि सरकार कुछ ऐसा करे कि जनता का फायदा हो, जनता का फायदा वहां होता है जब सरकार कुछ सामान सस्ता करती है। यहां तो हर सामान महंगा करती जा रही है चाहे वो टी.वी.हो या मोबाइल हो।
व्यापारी रामनरेश यादव ने कहा कि इस बजट से हमें कुछ फायदा नहीं हुआ है।  मोबाइल महंगे होगे तो ग्राहक कम आयेगे।
चित्रकूट और बांदा के सांसद भैरव प्रसाद मिश्र का कहना है कि देश को लाभ मिल रहा है,इस बजट से देश को और बुंदेलखंड को फायदा है।
पत्रकार अनुज हनुमंत ने कहा कि इस बार का बजट बुंदेलखंड की समस्याओं पर नहीं है। यह दुःख का विषय है। यहां का किसान चाहता है कि उसकी फसल बरबाद न हो।देश में सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग है लेकिन इस बजट से मध्यम वर्ग के लोग बहुत निराश हैं।
दुकानदार रोहित ने बताया कि हर किसी को फायदा मिला हैं।
सांसद प्रतिनिधि सुशील कुमार का कहना है कि इस बार का बजट लम्बे समय के लिये है यह लोंगो को लुभाने के लिये नही है, बल्कि लोगों के हित के लिये हैं।
दुकानदार नीरज कुमार गुप्ता ने बताया कि इस बार के बजट में युवाओं के लिये कोई बजट नहीं हैं।
राष्ट्रीय रामायण मेला के प्रचार मंत्री करुणा शंकर दिवेदी का कहना है कि इस बजट से लोंगो को उम्मीद थी कि इनकम टैक्स की सीमा बढ़ाई जायेगी लेकिन लोग निराश हैं।
महोबा के गनेश कहना कि जैसे चल रहा था वैसे ही चल रहा हैं।कुछ नया हिसाब किताब नहीं बना है। लोग पहले भी परेशान थे और अभी भी परेशान हैं।
2016 में ट्रेन कि टिकट बिक्री से मालूम होता है कि उत्तर प्रदेश से अठारह लाख लोगों ने पलायन किया। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरों के मुताबिक पिछले बाइस सालों में देश भर में तकरीबन सवा तीन लाख किसान आत्म हत्या कर चुके हैं। 2015 में कृषि से जुड़ें बारह हजार छह सौ दो किसानों ने आत्महत्या की जिसमें आठ हजार सात किसान थे, जबकि चार हजार पांच सौ पंचानबे लोग कृषि से जुड़े मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर बुंदेलखंड में 2017 में दो सौ छियासठ किसान मजदूरों ने आत्म हत्या की। इनमें एक सौ चौरासी ने फांसी लगाकर छब्बीस ने रेल से कट कर या कीटनाशक पीकर बाकी  छप्पन में कई तो ऐसे जिन्होंने खुद आग लगाकर जान दे दी।

रिपोर्टर- नाजनी रिजवी और सुनीता प्रजापति

Published on Feb 7, 2018