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देश में यौन शिक्षा का हाल

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) के अनुसार  देश में 26.8% यानी 4 महिलाओं में से 1 की शादी 18 साल से पहले हुई है और 15 से 19 वर्ष की उम्र में 7.8 % महिलाएं मां बनी हैं। वैसे 18 साल से पहले विवाह करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2005-06 की तुलना में 47.4 % गिरा है और 15-49 वर्ष की आयु वर्ग में विवाहित महिलाओं में गर्भ निरोधकों का प्रयोग 56.3 % से कम होकर 53.5 % हुआ है। हालांकि 2005-06 में, 2.7 % लड़के और 8 % लड़कियों ने 15 साल की उम्र से पहले अपनी यौन शुरुआत की है। भारत की 33.6 % जनसंख्या किशोर गर्भधारण से पैदा होती है। भारत में 253 मिलियन किशोर है, जो जापान, जर्मनी और स्पेन की समान आबादी के बराबर हैं, लेकिन देश उन्हें सही तरह से कुशल नहीं बना पा रही है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (एनएसीओ) ने विवादास्पद चित्रण और शब्दों जैसे- संभोग’, ‘कंडोमऔर हस्तमैथुन हटा दिया है। इन्हें हटाने के पीछे वजह किशोरों पर बुरा प्रभाव बताया गया है। जनसंख्या परिषद 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 10,400 से अधिक किशोरों (15-19 वर्ष) में से 14.1 % अविवाहित किशोर लड़के और 6.3 % अविवाहित किशोर लड़कियां शादी से पहले यौन संबंध बना चुके थे।  उनमें से 22 % लड़के और 28.5 % लड़कियां 15 वर्ष की आय़ु से पहले यौन संबंध बना चुके थे।अध्ययन में पाया गया कि, 20.3 फीसदी से अधिक अविवाहित लड़के और 8.2 फीसदी अविवाहित लड़कियों से ज्यादा ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया है। 15-19 वर्ष की आयु वाली विवाहित लड़कियां जो अपने साथी के साथ यौन संबंध में हैं, उनमें से केवल 11.2 फीसदी ने शादी के भीतर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया। वहीं उत्तर प्रदेश में 17.2 % किशोर (15-19 वर्ष) लड़के और 6.2 % किशोर लड़कियां यौन सम्बन्धों से सक्रिय पाए गए हैं। प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं में मासिक धर्म संबंधी बीमारियाँ, मासिक धर्म में स्वच्छता, सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग, गर्भ निरोधकों का प्रयोग, यौन संबंध, यौन शोषण और लिंग हिंसा पर परामर्श शामिल हैं। इंडियन जर्नल ऑफ साइकोट्री 2015 के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली किशोरों की यौन और प्रजनन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार नहीं है। जर्नल में छपी समीक्षा में कहा गया है, गलत सूचना में युवाओं में गलतफहमी पैदा करने की क्षमता है, जिससे उन्हें सेक्स के प्रति सही व्यवहार करने की संभावना कम हो जाती हैं। जागरूकता की कमी या शर्मिंदगी के कारण सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच दूर हुई है। 2012 में किशोरों की प्रजनन दर ने भारत के कुल प्रजनन दर में 17 % थी। और 20 से कम उम्र के महिलाओं में 14 % जन्म अनियोजित थे। किशोरों के लिए गर्भनिरोध की गोलियां की सिफारिश नहीं की जा सकती  क्योंकि वे नियमित यौन गतिविधि वाले नहीं होते हैं। आज गर्भनिरोध के कई उत्पाद उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इनकी कीमत किशोरों के लिए बहुत अधिक है, इसलिए आपातकालीन गर्भ निरोधों को कॉलेजों में उपलब्ध होना चाहिए और सरकार द्वारा कम कीमत पर दी जानी चाहिए।