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ताली पर ताली पर…

(फोटो साभार - विकिपीडिया )

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जैसे छूत की बीमारी एक से दूसरे तक फैलती है, वैसे ही ताली बजाने में होता है – एक ने बजाई तो पास बैठे दूसरे से भी बज जाएगी। मानें या न मानें यही सच है।
स्वीडन देश के वैज्ञानिकों ने इस बात के प्रमाण जुटाए हैं। यहां की एक पत्रिका ‘जर्नल आफ द रॉयल सोसाइटी’ में यह लेख प्रकाशित हुआ है। लेख में कहा गया है कि अगर आपके किसी प्रदर्शन में आपको ज्यादा तालियां मिलती हैं तो इसका ये बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि आप वाकई में बेहतर हैं।
तालियों और आपके प्रदर्शन के बीच सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं होता है। तालियां एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलती हैं। तालियां प्रदर्शन पर नहीं बल्कि भीड़ में बैठे लोगों के स्वाभाव पर निर्भर करती हैं।
लेख में कहा गया है कि कुछ लोग ताली बजाना शुरू करते हैं और फिर वहां मौजूद अधिकतर लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। ये दावा करने वाले दल के प्रमुख डॉक्टर रिचर्ड मान ने इसकी प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि आपके पड़ोस में बैठा व्यक्ति जब ताली बजाता है तो आप पर भी ऐसा करने के लिए सामाजिक दबाव पड़ता है। यही दबाव मुख्य रूप से तालियों के लिए जि़म्मेदार होता है।