खबर लहरिया महोबा जोखिम पर पहाड़ न खोदें तो क्या खाएं ?

जोखिम पर पहाड़ न खोदें तो क्या खाएं ?

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काम बंद होने से बेरोजगार हुए मजदूर

जिला महोबा, ब्लाक कबरई, कस्बा कबरई, लौड़ापहाड़। यहां 5 मई 2014 को पहाड़ खिसकने से आठ ट्रैक्टर दब गए थे। डी. एम. के आदेश से पहाड़ खुदाई का काम बंद है। काम बंद होने से करीब 500 सौ मज़दूर बेरोज़गार हो गए हैं। महोबा में पहाड़ खुदाई मज़दूरी का मुख्य स्त्रोत है। यह काम जान जोखिम में डालने वाला है। लेकिन इसके अलावा मज़दूरी का दूसरा कोई ज़रिया भी नहीं है।
राम देवी और जगरानी ने बताया कि पहाड़ की गिट्टी तोड़कर दिनभर में हम 100 रुपए का काम कर लेते हैं। लेकिन खुदाई बंद होने से कमाई का एकमात्र ज़रिया बंद हो गया है। केशरतुलसी और  खेमराज ने बताया कि पहाड़ खिसकने की घटना से हम लोग डरे हुए हैं। हमें पता है कि पहाड़ खुदाई का काम बहुत खतरनाक है, पर जानकर भी हम खतरा मोल लेने को मजबूर हैं। पप्पू और पहाड़ी का कहना है कि अगर पहाड़ ऐसे ही बंद रहा तो हम कमाई कहां से करेंगे। पहाड़ की खुदाई रोज़ी रोटी के लिए ज़रूरी है। जो पहाड़ खिसका है उसका पट्टा 2009 तक का था। उसमें काम बंद था लेकिन आसपास के पहाड़ पर काम चालू होने के कारण यह घटना घटी है। कल्लू ठेकेदार ने कहा कि 5 मई 2014 को पहाड़ खिसकने से मेरे दो ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हो गए है। तभी से काम बंद हैं। अगर काम जल्दी नहीं शुरू हुआ तो हजा़रों मज़दूर भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे।

महोबा डी. एम. अनुज कुमार झा का कहना है कि खनन रोकने का आदेश सिर्फ लौड़ा  पहाड़ के घटना को लेकर है। खनन की निगरानी के लिए पर्यावरण विभाग ज़िम्मेदार है। जिन पहाड़ मालिकों का पट्टा खत्म हो रहा है उन्हें पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद काम दोबारा शुरू होगा।