खबर लहरिया चित्रकूट चित्रकूट जिले के भरतकूप की कहानी, क्रेशर चालू तो मरीज बने, बंद हो तो बेरोजगार बने

चित्रकूट जिले के भरतकूप की कहानी, क्रेशर चालू तो मरीज बने, बंद हो तो बेरोजगार बने

जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी, गांव भरतकूप हिंया नई अउर पुरान आदिवासी बस्ती के बीच मा लगभग दुइ सौ क्रेशर मशीन लाग हवै।जेहिसे निकले वाली धूल से हिंया के मड़इन का टी.वी.अउर दमा जइसे बीमारी होइ जात हवै।सरकार 9 मार्च 2016 का पहाड़ के खनन मा रोक लाग दिहिस रहै तबै हिंया के मड़इन का रोजगार छिन गा रहै अउर हजारों मड़ई बाहर रोजगार के तलाश मा बाहर  चले गें  रहै ।अब फिर से क्रेशर मशीन का काम चालू होइगा हवै। जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी, गांव भरतकूप हिंया नई अउर पुरान आदिवासी बस्ती के बीच मा लगभग दुइ सौ क्रेशर मशीन लाग हवै।जेहिसे निकले वाली धूल से हिंया के मड़इन का टी.वी.अउर दमा जइसे बीमारी होइ जात हवै।सरकार 9 मार्च 2016 का पहाड़ के खनन मा रोक लाग दिहिस रहै तबै हिंया के मड़इन का रोजगार छिन गा रहै अउर हजारों मड़ई बाहर रोजगार के तलाश मा बाहर  चले गें  रहै ।अब फिर से क्रेशर मशीन का काम चालू होइगा हवै।  पंचायत मित्र कालिंजर का कहब हवै कि जबै क्रेशर का काम बंद होइ गा रहै तबै घर-घर से सब मड़ई परदेश चले गें रहै कुछ मेहरिया भी परदेश गई रहै ।सब मड़इन के जांब कार्ड बने हवै पै 15 दिन के काम का रुपिया चार महीना बाद मिलत हवै।तौ मड़इन का भूखे रहै का पड़त हवै। यहै कारन मनरेगा मा काम नहीं करत आहीं। बेटीबाई  बताइस कि लड़का पत्थर का काम करत हवै नहीं भूखन मरे का पड़त हवै। भोला बताइस कि जबै मशीन का काम बंद होइगा रहै तौ छह महीना खातिर बम्बई चला गये रहेंव। धूप मा पत्थर का काम करे से पियास बहुत लागत हवै। केशकली अउर चम्पा बताइस कि हमें टी.बी अउर श्वास के बीमारी हवै। दवाई कराइत हन हवै तौ चक्कर आवत हवै।नियम  के हिसाब से जहां  पत्थर का काम होत हवै हुंवा चारों कइत दीवार होवे का चाहीं अउर रोज काम के जघा मा पानी  छिड़के का चाहीं। पै क्रेशर मालिक कुछौ नहीं करत आहीं। सरकार मनरेगा खातिर पहिले 38 हजार 5 सौ करोड़ रुपिया दिहिस  रहै अब बढ़ा के 48  हजार कइ दीन गा हवै।पै अबै भी हिंया के मड़इन  का मनरेगा का काम नहीं मिलत आय।

रिपोर्टर- मीरा देवी

15/06/2017 को प्रकाशित