खबर लहरिया राजनीति कैसे देेगी केन्द्र सरकार किसानों को आय सुरक्षा?

कैसे देेगी केन्द्र सरकार किसानों को आय सुरक्षा?

webकेंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण का एक बड़ा हिस्सा ‘भारत को बदलने’ पर केंद्रित किया और इस उद्देश्य तक पहुंचाने वाले नौ खम्बों में से तीन ग्रामीण क्षेत्र को मजबूत करने के थे। ग्रामीण क्षेत्र को (जिसमें सिंचाई और कृषि शामिल हैं) दो लाख करोड़ का बजट मिला। जिससे एक बात साफ है – सरकार जानती है कि राष्ट्रीय विकास के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था आवश्यक है।
यही कारण है कि सबसे पहले जेटली ने कृषि क्षेत्र और किसान कल्याण की बात की, ‘‘हमें ‘खाद्य सुरक्षा’ से आगे सोचना है और अपने किसानों को ‘आय सुरक्षा’ का अहसास देना है।’’ उन्होंने कहा ‘‘बजट कृषकों को कृषि संकट से तीन चीज़ों द्वारा छुटकारा दिलाना चाहता है – पहला सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाना जिससे फसल बेहतर होगी, दूसरा फसल का बीमा करके किसानों को सुरक्षा प्रदान करना, तीसरा मनरेगा को मज़बूत करना ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पुनर्जन्म हो सके।
बजट में 35,984 करोड़ रुपए किसानों के कल्याण के लिए रखे गए हैं। ये घोषणा की गई है कि 28.5 लाख हेक्टेयर बारिश से सिंचनेवाले खेतों को केंद्र की प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत शामिल किया जाएगा। अगले पांच सालों के लिए एक्सिलिरेटेड इरीगेशन बेनिफिट प्रोग्राम के अंतर्गत नवासी सिंचाई प्रोजेक्टों को जल्दी पूरा करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए घोषित किए हैं।
ऐसा ही महत्त्व मनरेगा को भी दिया गया है। इसे 38,500 करोड़ रुपए बजट के अंतर्गत दिए गए हैं। हालांकि जेटली का ये कहना कि ये रकम अभी तक आवंटित रकमों में सबसे ज़्यादा है, गलत है। एक चिंताजनक बात ये है कि ये आवंटन घट कर 30,000 करोड़ रह जाएगा क्योंकि सरकार के ऊपर 6,000 करोड़ की वेतन जवाबदेही है।
इस बजट का सबसे बड़ा वादा जो केंद्रीय वित्त मंत्री ने किया है वो ये कि यह बजट किसानों की आय 2022 तक दोगुनी कर देगा। विचार बड़ा है, मगर इसे पूरा करने के लिए कोशिशें इससे भी बड़ी चाहिए होंगी। 2013 में भारत में नौ करोड़ कृषक परिवार थे जिनकी कृषि से औसत वार्षिक आय 36,696 रुपए थी। लगातार दो सूखे पड़ने के कारण आज ये आय शायद और भी कम हो। अगले छः साल में आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए आय हर साल 15 प्रतिशत बढ़नी चाहिए।
‘गरीबों के लिए’ स्वास्थ्य योजना
अपने तीसरे बजट भाषण में जेटली ने सार्वजनिक स्वास्थ्य की अहमियत को मानते हुए स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करने की बात कही। हालांकि सरकार ने कई मौजूद स्वास्थ्य प्रोग्रामों पर आवंटन ज़्यादा नहीं बढ़ाया। वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान को 19,000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं जो 2015-16 के बजट आंकलन से थोड़ा ही ज़्यादा है।
क्या आदिवासियों को बजट से फायदा है?
वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार ‘‘दलित इंडियन चैम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इंडस्ट्री‘‘ के साथ सहभागिता में पिछड़ी जातियों के उद्यमियों के लिए केन्द्र खोलेगी। जहां अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए कुछ बजट में से 62,838 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं। हालांकि दलितों और आदिवासी संगठनों ने इन समुदायों से उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के कदम का स्वगत किया है। उनका कहना है कि पूंजी अब भी कम पड़ रही हैं। अनुसूचित जातियों के लिए स्पेशल कम्पोनेंट में बजट का आवंटन करने के लिए दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार 16.6 प्रतिशत और 8.6 प्रतिशत में योजना पारूप में से दिया जाना चाहिए था। जबकि पिछले साल के बजट के तरह इस साल का बजट भी इस मांग को पुरा नहीं कर पाया।