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कुछ कर दिखाने के लिए ज़रूरी है लक्ष्य

26-02-15 Arunima SInha Everestजिला लखनऊ। कहते हैं अगर हौंसले बुलंद हो तो कोई भी बाधा आपका रास्ता नहीं रोक सकती। एक छोटे से जिले अम्बेडकर नगर की अरुणिमा सिन्हा का एक पैर एक हादसे में कट गया लेकिन उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर फतह पाई। अरुणिमा एवरेस्ट चढ़ने वाली पहली विकलांग महिला हैं।

राष्ट्रीय स्तर की वाॅलीबाल और फुटबाॅल खिलाड़ी रह चुकी अरुणिमा ट्रेन में चोरों का विरोध कर रही थीं जब उनको चलती ट्रेन से धक्का दे दिया गया। अरुणिमा के दोनों पैर कट गए। 2011 में घटना घटी। अरुणिमा का सफर आसान नहीं था। ‘ट्रेन के हादसे के बाद  लोगों ने कई अफवाएं फैलाईं। तब मैंने ठाना कि मैं कुछ कर के दिखाउंगी। मेरे परिवार ने मेरा बहुत साथ दिया। मेरी ट्रेनिंग उत्तराखण्ड के उत्तर काषी जिले में हुई। 21 मई 2013 को मैंने 10 बज कर 55 मिन्ट पर एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराया।’

अरुणिमा की इस उपलब्धि को देश में काफी महत्व मिला। ‘मैं एक अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट सेन्टर खोलने वाली हूं जहां गरीब, विकलांग और ऐसे बच्चों को ट्रेनिंग मिले जिनमें कुछ कर गुज़रने की इच्छा हो। ये उन्नाव जिले में खोला जाएगा।’

‘कमज़ोर कभी मत बनो। अपनी कमज़्ाोरी को ताकत बनाओ। त्रासदी ये नहीं कि हम कुछ कर नहीं सकते, त्रासदी ये है कि हमारे पास कोइ लक्ष्य नहीं होता।’