खबर लहरिया बाँदा इतिहास के सुनहरे पन्ने बदल गए आज के झूठे वादों में

इतिहास के सुनहरे पन्ने बदल गए आज के झूठे वादों में

जिला बांदा, ब्लाक नरैनी, गांव कटरा कालिंजर हर सोमवार का हेंया कालिंजर किला मा भक्त नीलकंठ भगवान के पूजा करत हैं। 10वीं शताब्दी मा पहाड़ काट कालिंजर किला बनवावा गा रहै। या किला का इतिहास बहुतै नींक हैं।
गुप्तकाल मा या किला के मूर्ति बनवाई गे रहैं। बादशाह अकबर बीरबल का या किला जागीर के रूप मा दीन रहै। पै अब या किला खंडहर बन गा है हेंया किला देखे वाले मड़ई कम आवत है। डकैत हेंया ज्यादा रहत हैं। किला के बर्बादी के कहानी हेंया के मड़ई बतावत हैं। पत्रकार अतुल सुलेरे का कहब है कि पहिले हम रोज नीलकण्ठ के दर्शन करै आवत रहे हन। 23 जनवरी 2012 का जबै हम पांच दोस्त किला मा आये हन, तौ डकैत हमार अपहरण कइ लिहिन रहै। फेर पांच दिना बाद फिरौती लइ के छोड़न रहै। तबै से या किला मा बहुतै आतंक रहत है।
गौतम समेत कइयौ मड़ई बताइन कि 2015 मा भाजपा के सांसद भैरोप्रसाद मिश्र या गांव का गोद लिहिन रहै। दुइ साल होय के बादौ गांव का कुछौ विकास नहीं आय। गोद ले का मतलब होत है वहिके नींकतान देख भाल करब पै या गांव अबै भी विकास से कोसन दूर हैं। बसु सोनकर का कहब है कि हेंया यात्री के पिये के पानी के ब्यवस्था नहीं आय, एकौ शौचालय नहीं बने आहीं। डी. एम से लइके सांसद तक का दरखास दीन गे है पै अबै तक कुछौ विकास नहीं भा आय। चुनाव के समय विधायक अउर सांसद फेर से आपन झूठ वादा याद देवावत है। कार्तिक पूर्णिमा के दिना जउन मेला हेंया मनावा जात रहै वा अब बाँदा मा मनावा जात है।
लीलावती का कहब है कि जउन मड़इन के लगे खुद का साधन है उंई हेंया तक आ जात है, नहीं तौ रास्ता ख़राब होय के कारन हेंया तक कउनौ नहीं आ आवत हैं। एक हजार सीढ़ी चढ़ के अइत हन। रास्ता बन जाये तौ हमार ब्यापार भी बढ़ जाये। कालिजर का संस्कृत मा मतलब होत है जेहिका हरावा न जा सकै। यहिकर मतलब हेंया के मड़ई ज्यादा समझ सकत है।

रिपोर्टर- गीता

16/02/2017 को प्रकाशित