खबर लहरिया बाँदा आज़ादी के बारे में क्या महसूस करती हैं बाँदा की ये लडकियाँ

आज़ादी के बारे में क्या महसूस करती हैं बाँदा की ये लडकियाँ

जिला बांदा, शहर  बांदा देश के आज्जाद होय का मतलब है कि चाहे औरत होय या फेर मनसवा हेंया तक कि चाहे लड़की होय। अबै भी या मनब है कि भारत देश का आज़ाद भे सत्तर साल होइगे,पै अबै भी लड़किन खातिर समाज मा वहिनतान पर्दा प्रथा बनी है। सबै कउनौ आज़ादी मांगत है। खबर लहरिया पत्रकार बांदा जिला के कुछ लड़किन से आज़ादी का लइके बातचीत करिन। यहिमा से एक सायरा बानो नाम के लड़की है।
सायरा बानो का कहब है कि मड़ई कहत हैं कि लड़किन का पढ़ाये से कउनौ फायदा निहाय। उंई कहत हैं कि अगर लड़का पढ़ेगा तौ नीक रही। काहे से कि वा हमरे साथै रही। लड़किन का पढ़इबे तौ उनका पराये घर चले जाये का है। लड़किन का तौ पराये घर जा के चूल्हा फ़ूके का है। उनका पढ़ावै मा हमार रुपिया बरबाद होइ। यहिसे अगर लड़की पढ़ी तौ वा का करी। वहिका तौ पराये घर जाये का है। लड़किन का कउन सरकारी नौकरी करै का है। लड़की अगर घर के भीतर रहैं तौ सही आय। मै पध लिख के जाब करै के सोचत हौ। देश के जइसे लड़किन का भी आज़ादी मिलै तौ देश आज़ाद है।
संगीता गुप्ता का कहब है कि पहिले से लोगन के सोंच लड़किन खातिर बदल गे है,पै यहिके बादौ अबै भी पूरतान से आजादी नहीं मिली आय। लड़किन के हर काम मा घर वाले रोक लगावत हैं। कउनौ भी काम करै मा मना करत हैं कि या काम ना करौ, वा काम ना करौ। यहिसे कत्तौ कत्तौ लागत है कि का हमार मन का काम कत्तौ ना होई। या कारन से बहुतै घुटन होत है। मै सोचत हौ कि मोहिका भी लड़कन के जइसे हरतान के आज़ादी होय का चाही। तबहिने हमार देश मा आज़ादी होइ सकत है। समाज मा या पुरान रीति लड़किन खातिर आपन जघा काहे बनी आय यहिका जड़ से उखाड़ के फ़ेक दे का चाहीं। नहीं तौ आगे बढ़ै मा लड़किन खातिर एक पहाड़ के जइसे ठाढ़ होय वाली बात के जइसे आपन काम करत है। मोर बस चलै तौ या रीती का आज ही से ख़त्म कइ देंव।
यहिनतान राशिदा परवीन का कहब है कि लड़की अपने का आज़ाद महसूस करत हैं, पै महतारी बाप उनक डेरावत हैं। उंई कहत हैं कि हमार लड़की सुरक्षित रहै। अगर लड़की बाहर गई तौ वा सही नहीं आय। यहिसे लड़किन के मन मा अउर डेर पैदा होत है। अगर महतारी बाप हिम्मत दें तौ अउर हौंसला बढ़ सकत है, पै महतारी बाप भी का करै। समाज के मड़ई उनका नाम धरत हैं। यहिसे महतारी बाप भी मजबूरी मा कहत हैं। या समाज मा लड़किन खातिर बस काहे बधन लगाये जात है। इनतान के बधन का काट के फेकै के जरूरत है। आज जउन गरीबी है वा खतम होइ जई। काहे से कि लड़कन से बहुतै ज्यादा क्षमता अउर हुनर लड़किन मा होत है। ज उन दिन या बात समाज मा रहै वाले लोगन का समझ मा आ जई। वा दिन हमका भी आज़ादी मिल सकत है। क है से बस नहि कि देश का आज़ाद भे सत्तर साल होइगे है।
रिपोर्टर- मीरा देवी 
11/08/2016 को प्रकाशित

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