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आगामी आम चुनावों में विपक्ष में कौन होगा पीएम का चेहरा?

2019 आम चुनाव करीब आता जा रहा है और ऐसे में विपक्ष के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर उनके प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा। कांग्रेस ने भले ही तीन दिन पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को पार्टी का चेहरा घोषित कर परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की ताल ठोकी हो, लेकिन अब वह भी पलटती नजर रही है।

पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने स्पष्ट किया कि उसे आरएसएस पृष्ठभूमि वाले को छोड़कर विपक्ष के किसी भी दल का नेता पीएम पद के लिए कबूल होगा।

कांग्रेस के रुख में बदलाव राहुल की दावेदारी पेश करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को छोड़ किसी विपक्षी दल से समर्थन नहीं मिलने के बाद आया है।

यहां तक कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया कि राहुल ही विपक्ष के एकमात्र नेता नहीं हैं।  तेजस्वी ने कहा, ‘हम संविधान को बचाने के लिए किसी को भी प्रधानमंत्री पद के लिए चुन सकते हैं।  विपक्षी पार्टियों के द्वारा जो भी नाम घोषित होगा उसे मैं समर्थन करूंगा।  मैं किसी नाम पर आपत्ति या आरक्षण नहीं लगाता हूं।

हालांकि तेजस्वी यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए राहुल गांधी पर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की जिम्मेदारी है।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, 2019 में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए पार्टी अलगअलग राज्यों में अलगअलग दलों के साथ गठजोड़ करेगी।  

विपक्षी कैंप में इस बात की भी अटकलें हैं कि किसी महिला नेता को पीएम प्रत्याशी बनाया जाए।  इस पर सहमति बनी तो बसपा प्रमुख मायावती और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के नाम पर विचार हो सकता है।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी को 2019 में पार्टी का चेहरा बताने के साथ ही उन्हें समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन का भी अधिकार दे दिया गया था।  

पार्टी सूत्रों ने भाजपा के साथ मुकाबले को वैचारिक संघर्ष बताते हुए जंग जीतने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने पर भी जोर दिया।  उन्होंने कहा कि 2004 की तुलना में 2019 का भारत भिन्ना है।  यह हमारी नियमित राजनीतिक लड़ाई से परे है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि उप्र बिहार में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बना तो मोदी के लिए सत्ता कायम रखना मुश्किल होगा।  उप्र में जहां लोस की 80 सीटें हैं, वहीं बिहार में 40  ये दोनों राज्यों की सीटें मिलकर 543 सदस्यीय लोस की 22 फीसद से ज्यादा हैं।