खबर लहरिया बाँदा आकड़ा नहीं ट्यूवबेल सुधारै विभाग

आकड़ा नहीं ट्यूवबेल सुधारै विभाग

ट्यूवबेल परे बिगरे

ट्यूवबेल परे बिगरे

बांदा जिला का ट्यूवबेल विभाग के सरकारी कागजन मा बांदा जिला मा चालू कुल ट्यूवबेल (नलकूप) पांच सौ चैदह है । जिला का ट्यवबेल विभाग यतने बड़े आकड़ा से आपन वाहवाही जरूर करत है, पै जमीनी हालत या है कि ट्यूवबेलन के हालत बहुतै खराब है। कउनौ ट्यूववेल के इमारत खराब है, कउनौ के नाली टूटी फूटी परी हैं तौ कउनौ के मोटर फूंकी परी है।
हम बात करैं चाहित है रबी (गेहूं, चना, तिलहन) के फसल के। रबी के फसल बोवैं से पहिले, का इं ट्यूववेल अपने काम मा खरे हंै? का विभाग का आकड़ा पेश करैं से ज्यादा जरूरी किसानन के समास्या निपटावब ठीक नहीं लागत? किसानन के समस्या तबहिनै निपटी जबै उनका सिंचाई खातिर बराबर पानी मिली। मतलब कि सबसे ज्यादा जरूरी है ट्यूववेल का सुधारब। हर साल किसानन से सींच बाकी के वसूली कई ही लीन जात है, चाहे उनका सिंचाई खातिर पानी मिला होय या नहीं।
विभाग का मानब या भी है कि सड़क के किनारे वाले ट्यूबबेल बिल्कुल सही होय का चाही। काहे से आवत जात सबके नजर परत है। या बात का सबूत भी है कि अगर बांदा से इलाहाबाद वाली रोड मा बड़ोखर खुर्द ब्लाक तक बने चार ट्यूबबेल बिल्कुल ठीक है अउर अगर बांदा जिला, बबेरू ब्लाक गांव ब्योंजा का ट्यूबबेल नम्बर 135 अउर बगेहटा गांव के ट्यूबबेल नम्बर 59, 69 अउर 9 का देखा जाय तौ सालन से खराब हैं। अब रबी के फसल आवैं वाली है। पलेवा खातिर सिंचाई बहुतै जरूरी है। अगर बगेहटा जइसे ट्यूबबेल का हाल रही तौ, का विभाग ट्यूववेल के जरिया किसानन का राहत दई पाई?